यौम-ए-पैदाइश: “चलो दिलदार चलो…..”से लोकप्रिय हुए कैफ भोपाली की पढ़िए मशहूर शायरियां

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उर्दू शायरी की दुनिया एक से बढ़कर एक शायर हुए हैं। इन्ही में से एक हैं कैफ भोपाली। कैफ भोपाली एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्म गीतकार थे। जिनकी लोकप्रियता 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत “चलो दिलदार चलो…..” से हुई। कैफ भोपाली ने भले ही बॉलीवुड फिल्मों में कई हिट, सुपरहिट गीत लिखे हो मगर उनकी असल विधा शायरी और गज़ल ही रही। उनकी यौम-ए-पैदाइश 20 फरवरी को भोपाल में हुई।

70-80 के दशक में वे लगातार मुशायरों की जान बने रहे। उनकी कई गजलें बेहद लोकप्रिय हुईं जैसे “तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है”, झूम के जब रिन्दों ने पिला दी। जिसे आवाज़ दी जगजीत सिंह ने। कमाल अमरोही की एक और फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’ में उनके द्वारा लिखा एक गाना “ऐ खुदा शुक्र तेरा….” काफी लोकप्रिय हुआ। उनकी पुत्री “परवीन कैफ़” भी उर्दू की मशहूर शायरा हैं। एक नजर डालें उनकी मशहूर रचनाओं पर।

1.सच है कि मोहब्बत में हमे मौत ने मारा
कुछ इसमें तुम्हारी भी खता है कि नहीं है।

2.जिंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ

3.मेरी सुबह के सितारे तुछे ढूंढती हैं आँखे
कहीं रात डस ना जाए तेरी रोशनी से पहले

4.तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले

5.कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा

6.रात हमारे साथ तू जागा करता है
चांद बता तू कौन हमारा लगता है

7.एक कमी थी ताज-महल में
मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी

8.आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है

9.दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

10.इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले

11.इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूँ
मिरा इश्क़ बे-मज़ा था तिरी दुश्मनी से पहले

12.जनाब-ए-‘कैफ़’ ये दिल्ली है ‘मीर’ ओ ‘ग़ालिब’ की
यहाँ किसी की तरफ़-दारियाँ नहीं चलतीं

13.चाहता हूँ फूँक दूँ इस शहर को
शहर में इन का भी घर है क्या करूँ

14.कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ ‘कैफ़’
उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले

 

 

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