राहुल गांधी बर्थडे : वो 6 राजनीतिक फैसले जिन्होंने हर किसी को हैरान कर दिया !

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आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का 49वां जन्मदिन है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के घर 19 जून, 1970 को नई दिल्ली में राहुल गांधी का जन्म हुआ। राहुल गांधी की पहचान उनके परिवार के अलावा भी कई वजहों से है। राहुल के भाषण, राजनीतिक गतिविधियों से लेकर पार्टी में लिए गए फैसले भी हर किसी को चौंका देते हैं।

आज राहुल के बर्थडे के मौके पर आइए जानते हैं राहुल गांधी के ऐसे कुछ फैसले जिन्होंने हर किसी को चौंकाया।

हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिक बिसात खुद बिछाई है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेताओं के परिवार से होने के बावजूद राहुल ने हमेशा अपना रास्ता अलग चुना।

1. जनता नहीं चुनेगी तब तक नहीं बनूंगा प्रधानमंत्री !

कांग्रेस के इतिहास की बात करें तो देश के आजाद होने के बाद जवाहर लाल नेहरू सबसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिनके बाद यह पद उनके बेटी इंदिरा गांधी ने संभाला। इंदिरा की हत्या के बाद राजीव गांधी पीएम बने। अब राजीव के बाद राहुल गांधी के पास मौका होते हुए उन्होंने पीएम पद अस्वीकार कर दिया।

2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद जब देश में यूपीए ने फिर एक बार सरकार बनाई तब हर कोई यह मानकर चल रहा था कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

यहां तक कि खुद मनमोहन सिंह ने भी उनके प्रधानमंत्री बनने पर सहमति जताई। यूपीए ने पूरे 5 साल पूरे किए पर राहुल गांधी ने पीएम पद के लिए कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। राहुल ने खुद के पीएम बनने के सवाल पर साफ किया कि जब तक कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत से नहीं जीतती है वो प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।

2.मनमोहन सिंह सरकार में दिखाए बगावती तेवर

यूपीए 2 के समय जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर आवाज उठाई। दरअसल मनमोहन सिंह बागी नेताओं को बचाने के लिए एक अध्यादेश लाने जा रही थी वो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद।

उसके बाद राहुल ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अध्यादेश को सभी के सामने फाड़ दिया और बागी लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया।

3. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव से मिलाया हाथ

2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से हाथ मिलाया। राहुल के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हर किसी को हैरानी हुई। हालांकि चुनाव में बीजेपी की आंधी चली और यह गठबंधन बुरी तरह हार गया। कांग्रेस-एसपी दोनों को मिलाकर 54 सीटें ही नसीब हुई।

4. संसद में प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाना

2014 में मोदी लहर में हर विपक्षी पार्टी उड़ गई और बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की। कांग्रेस को 43 सीटें मिली और संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। राहुल गांधी ने पूरे 5 साल विपक्ष के तौर पर मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरा। कई मोर्चों पर पीएम मोदी से सीधे सवाल किए।

 

2018 में जब लोकसभा का मानसून सत्र चल रहा था तब विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस दौरान राहुल ने भाषण दिया। अपना भाषण खत्म कर राहुल अपनी सीट से उठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास गए और उन्हें गले लगाया। यह वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

5. लोकसभा चुनाव 2019 में प्रियंका गांधी गांधी की एंट्री

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस जीत के लिए चारों तरफ हाथ-पांव मार रही थी। कांग्रेस में आलाकमान के तौर पर राहुल गांधी अकेले ही मुख्य चेहरा थे। वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर से पिछले काफी समय से प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने की सुगबुगाहट चल रही थी।

इसी बीच राहुल गांधी ने ठीक चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाकर उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी। हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 80 में से सिर्फ एक ही सीट मिली।

6. कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को फिर एक बार हार का सामना करना पड़ा। हार की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने ली और कार्यसमिति की बैठक में अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राहुल गांधी के इस फैसले से सभी नेता हैरान थे। पार्टी ने सभी नेताओं की सहमति से अभी तक राहुल का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है हालांकि राहुल गांधी अपनी जिद्द पर अड़े हैं।

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