देश में मार्च के अंत तक बंद हो सकते हैं 1.13 लाख एटीएम, जानें इसकी वजह!

Views : 1854  |  0 minutes read
chaltapurza.com

इस महीने यानी मार्च के अंत तक देश के नागरिकों को कैश से संबंधित बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मार्च महीने के अंत तक देश के करीब आधे एटीएम बंद हो सकते हैं। यह जानकारी कंफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री यानी CATMi की ओर से आई है। ATM इंडस्ट्री ने देश में करीब आधे एटीएम बंद होने के पीछे की वजह टेक्निकल अपग्रेडेशन करना बताया है। बड़ी संख्या में एटीएम मशीनें बंद होने से जहां आम नागरिक को कैश निकासी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ेगा वहीं, दूसरी ओर हजारों नौकरियों पर संकट आ सकता है।

देश में फिलहाल 2.38 लाख से अधिक हैं एटीएम मशीनें

जानकारी के मुताबिक़, देश में फिलहाल 2.38 लाख से अधिक एटीएम मशीनें हैं जिसमें से करीब 1.13 लाख एटीएम के बंद होने की संभावना जताई जा रही है। CATMi ने अपने बयान में कहा कि जो ATM बंद हो सकते हैं, उनमें से अधिकांश गैर-शहरी क्षेत्रों के होंगे। यानी अधिकांश ग्रामीण इलाकों के एटीएम बंद होंगे। इससे वित्तीय समावेशन की कोशिशें प्रभावित हो सकती हैं। कई लाभार्थी ATM का इस्तेमाल सरकारी सब्सिडी निकालने के लिए भी करते हैं। गौरतलब है कि CATMi इस बात की आशंका पिछले साल भी जता चुका है।

ATM इंडस्ट्री पर आएगा 3 हजार करोड़ की लागत का भार

CATMi की मानें तो एटीएम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपग्रेड समेत हाल में हुए रेगुलेटरी बदलावों, कैश मैनेजमेंट स्टैंडर्ड को लेकर अध्यादेशों और कैश लोडिंग के कैसेट स्वैप मैथड से ATM ऑपरेट किया जाना नुकसानदेह हो सकता है। इसके कारण फिलहाल इन्हें बंद करना पड़ेगा। कंफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक़ केवल नए कैश लॉजिस्टिक्स और कैसेट स्वैप मैथड से ATM इंडस्ट्री पर 3000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत का आएगी। बैंकों का कहना है कि देश में ATM लगाने की सर्विस से होने वाली आय नहीं बढ़ रही है। इसकी वजह बहुत कम ATM इंटरचेंज चार्जेस और लगातार बढ़ती लागत है।

दलाई लामा ने कहा, कोई भारतीय हो सकता है उनका उत्तराधिकारी, जानें कैसे बनता है लामा?

अतिरिक्त लागत का बोझ उठाने के लिए बैंकों को आगे आना होगा

कंफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री के अनुसार एटीएम इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति में सुधार लाने का एक ही रास्ता है। वह यह कि अनुपालन की अतिरिक्त लागत का बोझ उठाने के लिए बैंकों को आगे आना होगा। अगर ATM डिप्लॉयर्स को बैंकों द्वारा इन इन्वेस्टमेंट्स का मुआवजा नहीं मिलता है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि कॉन्ट्रैक्ट सरेंडर करने के हालात पैदा हो जाएं। इससे देश में बड़े पैमाने पर एटीएम बंद करने पड़ जाएंगे। इस बीच सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता का ही होना है। आधे से ज्यादा एटीएम बंद होने के कारण लोगों को कैश किल्लत का सामना करना पड़ेगा।

COMMENT