क्या विवेक ओबेरॉय 2019 में मोदी 2.0 का सपना साकार कर पाएंगे ?

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“छप्पन इंच की छाती” से लेकर भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर देने वाले मसीहा तक, कुछ ऐसे ही नामों से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा एक बड़े नायक के रूप में पेश किया जाता रहा है।

अब निर्देशक ओमंग कुमार ने इसे एक लेवल और आगे ले जाने का सपना देखा है और निर्माता संदीप सिंह के साथ मिलकर हाल ही में नरेंद्र मोदी पर बनने वाली बायोपिक का भव्य पोस्टर लॉन्च किया।

पोस्टर लॉन्च के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी को “भारत के सबसे बड़े नेताओं में से एक” कहा गया। यदि आपको अभी भी इस बात का संदेह है कि यह एक प्रचार फिल्म है या नहीं, तो प्रधानमंत्री का किरदार निभाने वाले विवेक आनंद ओबेरॉय का पोस्टर किसी और ने नहीं बल्कि भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ही लॉन्च किया था।

ओमंग कुमार, जिनकी फिल्मों की पसंदीदा शैली “जीरो से हीरो” वाली रही है, उनका मानना है कि कोई भी बायोपिक बनाने का नियम यह है कि “अगर परिवार चाहता है कि कुछ चीजें नहीं बताई जाएं तो आप ऐसा नहीं कह सकते हैं।” वहीं यदि आप किसी व्यक्ति या परिवार से कहानी को लेकर इजाजत ले रहे हैं तो आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा, अन्यथा आपकी बायोपिक फर्जी लगेगी।

इस बीच, विवेक ओबेरॉय शुरू से ही भाजपा के मुखर समर्थक रहे हैं बीते 2014 के लोकसभा चुनाव में उनको महाराष्ट्र और गाजियाबाद के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में पार्टी के लिए प्रचार करते हुए देखा गया था।

2014 में, विवेक ने यह उम्मीद भी जताई थी कि नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बनेंगे क्योंकि वह देश में एक जरूरी बदलाव की शुरूआत करेंगे। लोग भ्रष्टाचार और बढ़ती कीमतों से तंग आ चुके हैं। वे अच्छी स्वास्थ्य सेवा, अच्छी सड़कें, विकास और विकास की ही बात करेंगे।

विवेक ने मई 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शिरकत की थी, जहां उन्होंने कमल के निशान वाली जैकेट पहनी थी। उस दौरान उनका कहना था कि “आज मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं और आज का दिन याद रखना मेरे लिए एक सुनहरा अनुभव होगा”!

वहीं आपको बताते चलें कि विवेक के पिता सुरेश ओबेरॉय भी भाजपा के साथ लंबे समय से जुड़े रहे हैं और 2004 से पार्टी के सदस्य हैं। ओबेरॉय पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक के भी निर्माता हैं। ऐसा लग रहा है कि यह बायोपिक 2019 के चुनावों में पार्टी के अभियान में बाप-बेटे का साझा योगदान है।

दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब विवेक को नरेंद्र मोदी की बायोपिक के लिए तैयार किया गया है। 2013 में भी, उन्होंने बताया था कि वह मितेश पटेल द्वारा निर्मित नमो में प्रधान मंत्री के युवा संस्करण को निभाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

इतिहास इस बात का सबूत है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर आधारित पहले की फिल्में भी उनका महिमामंडन करने की एक कवायद रही थी। यहां तक कि जुलाई 2018 में मंगेश हाडावले की 30 मिनट की फिल्म “चलो जीते हैं” में बाल मोदी को लौकिक उद्धारकर्ता के रूप में दिखाया गया था। वहीं इससे पहले, दिसंबर 2017 में, तुषार अमरीश गोयल “मोदी काका का गाँव” लेकर आए थे।

अब 2019 के चुनावों से पहले भाजपा की तीन राज्यों में करारी हार ने मोदी लहर पर सवालिया निशान लगा दिए हैं ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी के सबसे ताकतवर नेता माने जाने वाले मोदी की छवि बहाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

लेकिन क्या मोदी 2.0, जिसे हम उनकी बायोपिक में देखना चाहते हैं, 2019 की लड़ाई जीतने के लिए पर्याप्त होगी?

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