इस क्लब में लोग जाते हैं और फूट-फूटकर रोते हैं, आखिर ऐसा क्यों ?

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लाफ्टर क्लब या लाफ्टर थेरेपी के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि जितना हंसना आपके लिए जरूरी है उतना ही रोना हमारे लिए फायदेमंद है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे क्लब के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग सिर्फ रोने के लिए देश के कोने-कोने से आते हैं। लेकिन इस क्लब में आखिर रोने के लिए ही क्यों आते हैं? आइए आपको पूरी कहानी बताते हैं।

सूरत में एक ऐसा क्लब है जहां लोग हर दिन सिर्फ और सिर्फ रोने के लिए आते हैं और फूट-फूट कर, चिल्ला-चिल्लाकर रोते हैं। इसके पीछे यह माना जाता है कि क्लब में सामूहिक रूप से रोने से स्ट्रेस कम होता है। वहीं रोने से इंसान का मूड लाइट हो जाता है। दुनियाभर के वैज्ञानिक अपनी स्टडीज़ के बाद बताते हैं कि रोने से शरीर और दिमाग को काफी रिलैक्स महसूस होता है।

क्लब मालिकों का कहना है कि लोगों को हमारा यह आइडिया काफी पसंद आ रहा है। इसके अलावा यहां लोगों को रोने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है। एक बार के लिए आपको सुनने पर यह अजीब लग सकता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस क्लब में लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है।

क्या होता है रोने पर ?

वैज्ञानिक रोने को एक तरह की एक्सरसाइज़ मानते हैं और उनका कहना कि रोने के दौरान हमारी आंखों से एक खास तरह का केमिकल निकलता है जिसका नाम कोर्टसॉल (cortisol) होता है। यह केमिकल हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। इसलिए जब हम रोते हैं तो इस केमिकल को शरीर से बाहर निकालते हैं जिससे साथ में हम टेंशन, चिंता और डिप्रेशन को भी रिलीज करते हैं।

इसके अलावा वैज्ञानिक कहते हैं कि रोना और हंसना दोनों ही एक तरह के नैचरल इमोशन हैं, जो कि हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। एंडॉर्फिन हॉर्मोन निकलने पर हमें खुशी मिलती है ठीक उसी तरह रोने के दौरान निकलने वाले हार्मोन से भी हमें आराम महसूस होता है।

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