क्यों बहुमत साबित करने में भाजपा के पसीने छूटने वाले हैं?

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लोकसभा चुनाव शुरू होने जा रहे हैं। 11 अप्रेल को पहला वोट पड़ेगा। तरह तरह के सर्वे पहले आ ही चुके हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले दो महीने में भाजपा ने दो आंतरिक सर्वे करवाए थे और दोनों का ही रिजल्ट देख पार्टी के पसीने छूट गए। उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा सीटों वाला प्रदेश है। यहां के बारे में अमित शाह कई बार काफी कोन्फिडेंट नजर आते आए हैं।

उन्होंने एक इंटरव्यू में यह तक कह दिया था कि यदि यूपी में 73 सीट से एक भी सीट अगर भाजपा की कम हो जाए तो उन्हें फोन किया जाए।  लेकिन क्या भाजपा अपने दम पर यह बहुमत साबित कर पाएगी? आपको बता दें कि जो सर्वे आए हैं उनमें रिजल्ट भाजपा के हित में नहीं दिख रहा और सबसे ज्यादा नुकसान उनको यूपी में ही नजर आ रहा है।

भाजपा के ही आंतरिक सर्वे की मानें तो उन्हें यूपी में तीस सीटों का नुकसान हो रहा है। दूसरे सर्वे में तो हालत और भी गंभीर दिखाई है और 40 तक सीटें घटा दी हैं। भाजपा का ही आंतरिक सर्वे बता रहा है कि वहां पार्टी को 30 से 40 सीटें ही मिल रही हैं।

उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा फायदा SP और BSP के गठबंधन की ओर है। भाजपा के सर्वे भी इसकी ओर इशारा कर रहे हैं कि प्रदेश में इसको 30 से 40 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा कांग्रेस को कोई खास फायदा नहीं दिखाया जा रहा है। कांग्रेस ने पिछली बार यूपी में 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं इस बार सर्वे में उनके खेमे में चार सीटें दिखाई गई हैं। भाजपा इस सर्वे के बाद काफी हरकत में आई थी और इसके अलावा संघ से भी इसके बारे में बात की गई और कई सिटिंग सांसदों का टिकट काटा गया।

बहरहाल ये तो बात हुई यूपी की लेकिन भाजपा को बाकी कई राज्यों में भी नुकसान झेलना पड़ सकता है। गुजरात और राजस्थान में बीजेपी ने सारी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। मध्यप्रदेश में दो सीटों के अलावा सभी पर भाजपा ने ठप्पा लगाया। गुजरात में भी पिछली बार यही हाल था और 26 में से 20 सीटें भाजपा के पास थीं। लेकिन बात जब 2019 की हो रही है तो भाजपा की पकड़ कहीं ना कहीं फिसल रही है।

गुजरात में आडवाणी ही नहीं 10 सिटिंग सांसदों के टिकट कट चुके हैं ऐसे में राज्य में बीजेपी को पता है नुकसान होने वाला है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो भाजपा के अपने सर्वे में सामने आया है कि कांग्रेस आगे चल रही है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में कमलनाथ हर एक सीट के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं ऐसे में भाजपा की मुश्किलें बढ़ती ही दिख रही हैं।

भाजपा के ही नेताओं का मानना है कि पार्टी को देश भर में 220 से 230 सीटें आएंगी ऐसे में बहुमत के लिए पार्टी को 40 से 50 सीटों की आवश्यकता होगी।
भाजपा के लिए सबसे खराब मौसम है आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में। दोनों ही राज्यों में हालत खराब है और एक भी सीट के आसार नहीं हैं। अगर किसी राज्य में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है तो वो है तमिलनाडू।

रेल मंत्री पीयुष गोयल को यहां का कार्यभार दिया गया है और दिल्ली से ज्यादा उनका अधिकतर वक्त यहीं गुजर रहा है। भाजपा यहां पर एआईएडीएमके के साथ मिलकर पांच सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है।

बंगाल में भी कुछ खास भाजपा के हाथ नहीं लगने वाला। वहां पर ममता का माहौल है। कांग्रेस और वाम दल वहां पर साफ होने के कगार पर हो सकते हैं लेकिन फिर भी बीजेपी को 10 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। ओडिशा में नवीन पटनायक बीजेडी के हाथ में बागडोर है।

ऐसे में देशभर में 100 ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा की हालत टाइट है। ऐसे में भाजपा हर सीट पर रणनीति तैयार कर रही है और ऐसी सीटों पर काम करना पड़ रहा है जहां पर कई दशकों से उनकी सरकार नहीं रही है।

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