राजनीति के कैसे खिलाड़ी हैं सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान?

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सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सौद अपने दक्षिण एशिया के दौरे की शुरुआत इस्लामाबाद से करने के बाद अब दो दिनों के अपने पहले सरकारी दौरे पर भारत में है। सलमान का पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को देखते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों की देशों की यात्रा करना काफी अहम माना जा रहा है।

शाहजादे के दौरे के बाद भारत और सऊदी दोनों देशों के बीच निवेश, पर्यटन, आवास और सूचना तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में पांच अहम समझौते होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। खैर, कब भारत और सऊदी के बीच एक नए अध्याय की शुरूआत होगी इसके बारे में हम आपको समय-समय पर बताते रहेंगे फिलहाल आप जानिए शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के बारे में।

सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ के बड़े बेटे प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हैं जिनके कंधों पर राजाशाही के पहियों को आगे चलाने की जिम्मेदारी है। क्राउन प्रिंस रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय बैंक, आर्थिक और विकास के विभाग, राज्य द्वारा संचालित तेल समूह सऊदी अरामको को कंट्रोल करता है।

प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी अरब में “उदारवादी इस्लाम” की ओर लौटने और नए सिरे से उसकी नींव रखने की कसम खाई है जिसके लिए उन्होंने वैश्विक स्तर पर सभी से मदद मांगी है। सलमान का मानना है कि अब समय आ गया है जब एक कट्टर, अति-रूढ़िवादी राज्य को उदारता और खुले समाज की ओर ले जाया जाए। वहीं प्रिंस की मार्की पॉलिसी उन योजनाओं में से है जो विदेशी निवेश को बढ़ाने का दम रखती है।

सामान्य तौर पर, ऐसी पॉलिसियों को सऊदी में कुछ खास पसंद नहीं किया गया है पर प्रिंस के प्लान्स को युवाओं का जमकर सपोर्ट मिल रहा है जिसमें महिला ड्राइवरों पर प्रतिबंध हटाना और सार्वजनिक मनोरंजन को बढ़ावा देने जैसे विचार शामिल हैं। प्रिंस ने हाल में घोषणा की कि राज्य के स्वामित्व वाली अरामको तेल होल्डिंग का आंशिक रूप से निजीकरण हो जाएगा, जिससे सउदी की जनता को बहुत बड़ा झटका लगा है।

क्राउन प्रिंस मोहम्मद ने देश और विदेश दोनों जगहों पर कई मामलों में नरमी दिखाई है। सऊदी के आधुनिकीकरण को अगर किसी से खतरा है तो वह है देश का अंतर्निहित विवाद। इस बारे में सलमान फुल एक्शन मूड में है जिसकी वजह से पिछले कुछ समय से राज्य भर में सैकड़ों गिरफ्तारियां हुई हैं।

वहीं प्रिंस मोहम्मद राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर भी आक्रामक रूख अपना रहे हैं। ईरान समर्थित विद्रोहियों के लिए 2015 में मोहम्मद ने यमन में एक कठोर बमबारी अभियान चलाया था। सत्ता के लिहाज से देखें तो ईरान सऊदी अरब का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता रहा है।

रियाद में किंग सऊद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल करने के बाद प्रिंस मोहम्मद ने तुरंत ही वर्ल्ड पॉलिटिक्स में एंट्री ले ली। सबसे पहले, वह अपने पिता के सलाहकार थे, लेकिन बाद में वो रियाद प्रांत के गवर्नर बनाए गए। हालांकि कुछ ने इसे राजकुमार की सत्ता के लिए भूख भी कहा।

कुछ समय पहले प्रिंस मोहम्मद ने अपनी आधुनिकीकरण योजनाओं का सबसे बड़ा प्लान “निओम” दुनिया के सामने रखा। जिसमें $ 500 बिलियन का एक ऐसा क्षेत्र बनाया जाएगा जहां सऊदी अरब के एक विशाल कोने को हाई-टेक्निक सिलिकॉन वैली जैसे हब में बदला जाएगा। सऊदी अरब को वैश्विक हब में बदलने के लिए यह पहला कदम माना गया।

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