क्या है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस जहां लिखी जाएगी कुलभूषण जाधव की तकदीर

Views : 6219  |  0 minutes read

भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव की रिहाई के मामले में भारत और पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में आमने-सामने हैं। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में जाधव को इंसाफ दिलाने के लिए भारत की लड़ाई 18 फरवरी से शुरू हो गई जो आने वाले 4 दिनों तक चलेगी।

सुनवाई के पहले दिन तक का ताजा हाल यह है कि सोमवार को भारत की ओर से दलीलें पेश हुई। वहीं पाकिस्तान की तरफ से जाधव के खिलाफ जासूसी के विश्वसनीय सबूत नहीं हो पाए। माना जा रहा है कि इन 4 दिनों की कार्यवाही के बाद इस साल जाधव की रिहाई पर फैसला आ सकता है।

शॉर्ट में समझिए मामला क्या था ?

कुलभूषण जाधव भारतीय नागरिक है और नेवी में अफसर है। पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने जाधव को ईरान में गिरफ्तार कर उस पर जासूसी करने के आरोप लगाए। मामला पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट पहुंता जहां जाधव को मौत की सज़ा सुना दी गई। पाकिस्तान की ओर से यह फैसला देख भारत ने 8 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का रूख किया। आइए ऐसे में जानते हैं इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस क्या है जहां कुलभूषण जाधव के भाग्य का फैसला होगा।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (ICJ) संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख अंग है जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखना है। नीदरलैंड के हेग में पीस पैलेस में यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक संगठन है।

दुनिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द परमानेंट कोर्ट ऑफ़ इंटरनेशनल जिसे 1922 में स्थापित किया गया था आईसीजे उसी का उत्तराधिकारी है। 1946 में ICJ अस्तित्व में आया।

आईसीजे की दो आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच है।

कोर्ट में 50 जज होते हैं। वे जनरल एसेंबली (जीए) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा नौ साल के लिए चुने जाते हैं।

न्यायालय के सदस्यों में सभी अलग-अलग देशों से जज होते हैं। हालांकि, वे अपने देशों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वे स्वतंत्र रूप से काम करते हैं।

जजों की बेंच में तीन सीटों पर अफ्रीकी न्यायाधीशों का कब्जा है, दो लेटिन अमेरिका और कैरिबियन जज, तीन एशिया के, पांच पश्चिमी यूरोप से और दूसरे पश्चिमी देशों के जिसमें पूर्वी यूरोप के दो हैं।

आईसीजे दो महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता हैं-

पहला विवादित मामलों को हल करना जो मुख्य रूप से राज्यों के बीच विवाद, सीमा विवाद, जासूसी मामले, मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन के मामले शामिल हैं।

सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य अदालत के सामने किसी भी मामले को लाने के हकदार हैं। अन्य गैर-सदस्य राज्य भी कुछ शर्तों के साथ अदालत के सामने पहुंच सकते हैं।

एक बार अदालत के सामने मामला आने के बाद कार्यवाही दो चरणों में होती है। अदालत उनके तर्क, सबूत को देखती है। फिर उनके प्रतिनिधि, वकील अदालत की सुनवाई से पहले अपना पक्ष रखते हैं।

अदालत फिर अपने लेवल पर विचार-विमर्श शुरू करती है, जो गोपनीय रहता है। औसतन मामलों में, ये विचार-विमर्श 4-6 महीनों तक चलता है। अदालत विचार-विमर्श करने के बाद फैसले की प्रति शामिल राज्यों के प्रतिनिधि को भेजती है।

अदालत का फैसला अंतिम और बिना किसी अपील के मान्य होता है। अपनी मर्जी से अदालत में पहुंचकर, राज्य उनका फैसला मानने के लिए प्रतिबद्धता रहते हैं। यदि कोई राज्य अदालत के किसी फैसले का पालन करने से इनकार करता है, तो विपक्षी राज्य सुरक्षा परिषद के हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का बजट संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट से एक प्रतिशत से भी कम होता है। आईसीजे ने अब तक 161 मामलों का निपटारा किया है। यह कोई आपराधिक अदालत नहीं है।

COMMENT