भारत-पाक के बीच क्रिकेट मैच का लेवल खत्म हो चुका है, पाखंड भी खत्म होना चाहिए!

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साल 2007 की बात है जब पाकिस्तान और भारत ने आखिरी बार टेस्ट मैच में एक-दूसरे का सामना किया था। वो वक्त शोएब अख्तर और सौरव गांगुली जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों का था। विराट कोहली उस वक्त तक जूनियर क्रिकेट खेल रहे थे।

12 सालों में कोहली यकीनन अपनी पीढ़ी के सबसे महान क्रिकेटर के रूप में उभरे हैं और स्टारडम के एक अलग ही लेवल पर पहुंच गए हैं। मोहम्मद आमिर स्पॉट फिक्सिंग विवाद में शामिल थे और 5 साल के बैन के बाद पाकिस्तानी टीम में वापसी की।

दोनों ही देशों में वक्त के साथ कई बदलाव देखे और दो बार आपस में युद्ध की गंभीर स्थिति तक भी पहुंचे।  दोनों टीमों के बीच मैच बहुत देखने को मिलते हैं और इसी ने फैंस को पागल कर रखा है और ये बताया है कि इन दोनों देशों के बीच किस लेवल का गेम सेट होता है।

इशांत शर्मा और शोएब मलिक के अलावा आज का कोई भी क्रिकेटर दोनों टीमों के एक साथ किसी टेस्ट मैच में नहीं खेला। साल 2013 के बाद से ही दोनों पड़ोसी देशों की टीमें किसी वनडे इंटरनेशनल तक में भी नहीं खेली हैं।

अब ICC और एशिया कप बचता है जहाँ दोनों टीमों को खेलना पड़ता है लेकिन सिर्फ कम मैचों की वजह से दोनों टीमों के बीच ये कोम्पिटीशन खत्म नहीं हो रहा।  हमें ऐसा लगता है कि कम मैच होने से और कभी कभी आमना सामना करने पर दोनों के बीच कोम्पिटीशन की चमक बढ़ेगी लेकिन ऐसा नहीं है। इंडियन टीम काफी वक्त से भारी रही है। अब ये मुकाबला बराबरी का रहा ही नहीं। बस इंडिया की जीत ही सुर्खियां बनती हैं।

ऐसा ही कुछ हाल ही रविवार को हुए मैच में हुआ। राजनैतिक माहौल के कारण भी दोनों टीम को बिना मतलब का उबाल मिला और भारत पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें आमने सामने थीं। नतीजा ये रहा कि इंडिया ने पाकिस्तान पर एक बड़ी जीत दर्ज की।

क्वालिटी और परफोर्मेंस की बात करें तो इंडियन टीम के खिलाड़ी बेहतरीन फोर्म में हैं जिसकी मुकाबला पाकिस्तान कर नहीं सका। पॉइंट टेबल पर इंडिया ने बढ़त बनाई वहीं पाकिस्तान अब गेम में बने रहने की जद्दोजहद में लगी है।

दोनों टीमों के बीच यह अंतर रातोंरात नहीं बढ़ा है।  भारत अच्छे संसाधनों के साथ क्रिकेट टीम पर काम कर रहा है और प्रोफेशनली उनकी ट्रेनिंग चलती आ रही है।

दूसरी ओर पाकिस्तानी टीम में संसाधनों की बड़ी कमी है। पाकिस्तान की ओर से प्रोफेशनलिजम की कमी साफ दिखती है। पाकिस्तान इस फोरमेट में कमजोर नजर आती है। फिर वो चाहे फिल्डिंग ही क्यों ना हो। बहरहाल ये सब सिर्फ आज की बात नहीं है। ये काफी वक्त से चला आ रहा है।

साल 2009 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को बड़ा झटका लगा था। गेम खेलने आई श्रीलंका की टीम पर आतंकवादी हमला कर दिया गया। जिसके बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल मैचों की मेजबानी नहीं सकता। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) इंटरनेशनल क्रिकेट को अपनी जमीन पर लाने की भरपूर कोशिश कर रहा है लेकिन आईसीसी और अन्य सदस्य बोर्ड को मनाने में वे नाकाम रहे हैं।

इससे पाकिस्तान देश की क्रिकेट अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है और धीरे-धीरे इसका असर टीम की क्वालिटी पर भी पड़ा। विश्व कप में पाकिस्तान टीम की मौजूदा खिलाड़ियों में से शोएब मलिक और मोहम्मद हफीज के अलावा ऐसे बहुत कम खिलाड़ी हैं जिनको भारत के लोग जानते तक हैं।

न तो किसी का शानदार करियर रहा है और न ही किसी ने बेहतरीन पर्फोर्म करके लोगों का ध्यान खींचा। मोहम्मद आमिर पूरी तरह से अलग कारणों से लोकप्रिय हैं।  टीम के बल्लेबाजी कोर में बाबर आज़म और इमाम-उल-हक जैसे होनहार युवा शामिल हैं लेकिन अब तक उन्होंने किसी बड़ी टीम के सामने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है और इसी वजह से उन्हें बहुत कम भारतीय लोग जानते हैं।

जो भी लोग क्रिकेट को थोड़ा बहुत फोलो करते हैं और जानते हैं कि कौन कैसे फोर्म में है उनको रविवार को हुए भारत पाक मैच ने बिल्कुल भी सर्प्राइज नहीं किया होगा।  अब खिलाड़ी पाकिस्तानी क्रिकेट के अच्छे दिनों के आस पास भी नहीं है। वो भी दिन हुआ करते थे जब भारतीय टीम को वसीम अकरम, वकार यूनुस, शोएब अख्तर और सईद अनवर जैसे पाकिस्तानी बॉलर्स को फेस करते वक्त परेशानी होती थी। पाकिस्तानी क्रिकेट में उस वक्त निरंतरता और अनुशासन की कमी हो सकती थी लेकिन फिर भी कई खिलाड़ी थे जो लीड चेहरे बने रहे।

दूसरी ओर अभी की टीम UAE जैसे देशों की टीम का सामना ही कर पाती है। कम होते होते पाकिस्तान क्रिकेट टीम के लेवल में गहरी कमी आई है।  वहीं बात करें भारत की तो भारतीय टीम की हैसियत पूरे क्रिकेट जगत में लगातार बढ़ी है। कोहली की तो खैर बात अलग ही है उसके अलावा भी कई खिलाड़ियों ने अपनी छाप बनाई रखी है। हार्दिक पांड्या और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों ने भी ग्लोबल लेवल पर अपनी अलग ही पहचान बनाई है।

भारतीय और पाकिस्तानी क्रिकेटरों के बीच कद और स्टारडम का अंतर शायद अब तक का सबसे बड़े लेवल पर है। इस आधार पर तो पाकिस्तानी टीम को कुछ समझना ही नहीं चाहिए था लेकिन ऐसा होता नहीं है।

इस टीआरपी और टेंशन को बिल्ड अप कहीं ना कहीं राजनीतिक माहौल ने किया है। इस टेंशन और सक्रिय रहते आ रहे राजनैतिक संघर्ष का मजा प्रसारकों और मीडिया को भी खूब मिल जाता है। दोनों देश बहुत पहले से युद्ध की स्थिति में थे। भारतीय मीडिया व्यावहारिक रूप से इंडियन टीम से पाकिस्तानी टीम के बहिष्कार की अपील कर रहा था। लेकिन वो मिजाज तब बदल गया जब मैच करीब आया। बहरहाल तब बस ये बातें राजनैतिक माहौल को हवा देने के लिए थीं। सब जगह हिपोक्रेसी छाई रही।

राष्ट्रवादी सांसद गौतम गंभीर भी भारत पाक के मैच में पीछे नहीं रहे और कमेंट्री करने पहुंच गए। वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह शोएब अख्तर के YouTube चैनल पर मैच के लिए एक बिल्डअप सेगमेंट में दिखाई दिए। इंडिया टुडे ग्रुप से रोहित सरदाना और गौरव सावंत ऐसे एंकर्स थे जिन्होंने भारत को पाकिस्तानी टीम का बहिष्कार करने की अपील की थी। लेकिन लंदन में एक क्रिकेट कॉन्क्लेव इंडिया टूडे द्वारा किया गया जिसमें वसीम अकरम, यूनुस खान और मिस्बाह उल हक को गेस्ट के रूप में बुलाया गया था।

दोनों टीमें अपनी अर्थव्यवस्था पर पनपी हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था और प्रदर्शन दोनों में ही जमीन आसमान का फर्क है। मैच में किसी भी तरह का मुकाबला बचा ही नहीं और फिर भी, साल-दर-साल, टूर्नामेंट के बाद टूर्नामेंट में इन दोनों टीमों के मैच के वक्त लोगों को चार्ज किया जाता है क्योंकि दोनों देशों के बीच राजनैतिक माहौल ठीक नहीं हैं।

इस चीज के बारे में लोगों को बताने का एक ही तरीका है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट के संबंध वापिस अच्छे किए जाएं। इससे लोगों को पता चलेगा कि वो मुकाबला असल में है ही नहीं जिसके लिए इतना रोमांच बनाया जाता है।

क्रिकेट के मामले में ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का मुकाबला अधिक गहन, रोमांचक होता है। इंग्लैंड से भी अच्छा टकराव होता है। भारतीय टीम के ऐसे कई अनुभव हो सकते हैं जिनपर भारतीय क्रिकेट फैन्स ध्यान दें पाकिस्तान के साथ मैच उनमें से एक नहीं है।

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