वो अदाकारा जिसने फिल्म के पैसों के लिए अपने गहने तक बेच दिए थे!

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रेंज, स्टाइल, ग्रेस और भी न जाने क्या क्या नरगिस के तारीफ में कहीं जा सकती हैं। पर्दे पर उनका अपना एक अलग जादू था। सिनेमा से जुड़ी इसी अदाकारा के बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं।

नरगिस दत्त कथित रूप से कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी में एक अमीर पंजाबी परिवार में पैदा हुई थीं। उनकी माँ जद्दनबाई एक मुस्लिम अप्रवासी एक गायिका और प्रोस्टिट्यूट थीं। नरगिस ने तलाशे हक़ (1935) फिल्म में छह साल की उम्र में पहली बार पर्दे पर दिखाई दीं।

उनके ऑन-स्क्रीन जादू ने सिनेमा जगत को एक अलग राह दी। दत्त को आवारा (1951), श्री 420 (1955), मदर इंडिया (1957), रात और दिन (1967) और चोरी चोरी (1956) में उनकी एक्टिंग के लिए याद किया जाता है।

वह 1958 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली अदाकारा थीं। इन फिल्मों ने न केवल उनके शानदार करियर को देखा बल्कि उनके निजी जीवन में भी महत्वपूर्ण मोड़ आए। आवारा फिल्म में नगरिस राज कपूर के साथ नजर आई थीं। बताया जाता है कि फिल्म आवारा के ओवर बजट होने के कारण नरगिस ने अपने गहने तक बेचे थे।

इस बात की खूब चर्चा रही है कि नरगिस दत्त ने अपने वक्त में अभिनेता राज कपूर को डेट किया था जो पहले से ही बच्चों के साथ शादीशुदा आदमी थे। उन दोनों के बीच आवारा और श्री 420 जैसी फिल्मों में एक बेहतरीन केमिस्ट्री परदे पर दिखाई दी।

माना जाता है कि नरगिस अपने बहुत बुरे वक्त से गुजरीं जब राज कपूर ने अपनी पत्नी को तलाक देने से इनकार कर दिया था। लेकिन इससे वे उबरी और मजबूती से उन्होंने आगे बढ़ते रहना चुना।

अभिनेता सुनील दत्त उनके हमसफर थे। एक्टर सुनील दत्त ने मदर इंडिया (1957) के सेट पर नरगिस को आग से बचाया और उनकी सेहत का खूब ख्याल रखा। इसी सब में वे एक दूसरे से प्यार कर बैठे।

और उन्होंने 1958 में शादी करने का फैसला लिया। मदर इंडिया में उनका किरदार अभी भी याद किया जाता है और नरगिस को उनकी एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर का अवॉर्ड भी मिला।

नरगिस जितनी चंचल थी उनका दिल उतना ही सोने का था। सुनील दत्त और नरगिस ने साथ मिलकर अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप का गठन किया जिसने भारतीय सैनिकों के मनोरंजन के लिए भारत के सुदूर सीमाओं पर पर्फोर्म करने के लिए प्रमुख अभिनेताओं और गायकों को एक साथ जमा किया। 1971 के भारत-पाक युद्ध के तुरंत बाद ढाका में पहली इस मंडली ने कथित रूप से पर्फोर्मेंस दी। नरगिस भारत की स्पैसिट सोसाइटी की पहली संरक्षक भी थीं।

नरगिस दत्त को कैंसर का पता चला और 2 मई 1981 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कोमा में चली गई थीं। वह फिर कभी नहीं उठ पाई और अगले दिन, 51 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

उनके बेटे अभिनेता संजय दत्त की पहली फिल्म रॉकी उस साल 7 मई को रिलीज़ हुई थी और बाप और बेटे ने स्क्रीनिंग के वक्त अपनी माँ के लिए एक सीट खाली रखी थी।

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