मुंबई की नाइट लाइफ का अहम हिस्सा रहे हैं डांस बार, यहां पढ़ लो कुछ अनसुनी बातें

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मुंबई के ऐतिहासिक डांस बार पर आज सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आय़ा है। महाराष्ट्र सरकार के कानून को खारिज करते हुए कोर्ट ने मुंबई में दुबारा डांस बार खोलने की इजाजत दे दी है।

आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के कानूनों में कुछ बदलाव करते हुए कहा कि अब बार में डांसर को अलग से टिप नहीं दी जा सकेगी और ना ही डांसर पर सिक्के या नोट उछाले जा सकते हैं। वहीं कोर्ट ने अलग डांसिग एरिया और सीसीटीवी लगाने की मांग खारिज कर दी है।

अश्लीलता को लेकर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया तो वहीं अब बार के खुलने का समय 11.30 बजे तक ही रखा जाएगा। ऐसे में आइए कभी मुंबई की नॉन-स्टॉप नाइट लाइफ का ताज माने जाने वाले डांस बार की कुछ ऐतिहासिक परतें उठाते हैं और जानते हैं कुछ खास बातें।

1980 के दशक की शुरुआत में, मुंबई से 75 किलोमीटर दूर, रायगढ़ जिले के खालापुर गांव में डांस बार की संस्कृति शुरू हुई थी।

  • पहले डांस बार का नाम ‘बेवाच’ था जो रात में चोरी-छिपे चलता था। लगभग 500-600 डांसर और बार गर्ल्स को मुंबई और ठाणे के विभिन्न हिस्सों से बसों में दोपहर बाद डांस करने के लिए लाया जाता था।

 

  • कुछ समय बाद यह कल्चर मुंबई और ठाणे में जंगल की आग की तरह फैल गया। एक समय ऐसा था जब 75,000 से अधिक डांसर्स के साथ करीब 3,000 ऐसे नाइट-बार वहां चलते थे।

 

  • डांस बार में कई धनी डांसर्स भी हुई जिन्होंने करोड़ों की संपत्ति बनाई तो वहीं अन्य काफी ने सम्मानजनक जीवन जीने के लिए बहुत संघर्ष किया। बार डांसर तरन्नुम के यहां अघोषित आय के लिए आयकर विभाग तक ने छापा भी मारा था।

  • 2001 में मधुर भंडारकर की फिल्म “चांदनी बार” में बार डांसर्स की दुर्दशा दिखाई दी। इसमें फिल्म में मुख्य भूमिका तब्बू ने निभाई जिनको आगे चलकर इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

 

  • डांस बार हमेशा से ही मुंबई की नाइट लाइफ का एक अहम हिस्सा रहे हैं। सभी उम्र और वर्गों के लोग डांस बारों में आते थे। डांस बार में ज्यादातर युवा या धनी व्यापारी, पर्यटक देखे जाते थे।

 

  • मार्च 2005 में तत्कालीन गृह मंत्री आर.आर. पाटिल ने कहा कि सरकार ने कथित तौर पर वहां पनप रही भयावह गतिविधियों के मद्देनजर डांस बार पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है और उसी साल 15 अगस्त को, राज्य ने बार डांस पर बैन लगा दिया जिससे शहर के हजारों डांसर बेघर और बेकार हो गई थी।

  • अप्रैल 2006 में, बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा प्रतिबंध हटा दिया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध जारी रखा। जुलाई 2013 में, शीर्ष अदालत ने सरकार के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि बार उनके लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन कर सकते हैं और वे फिर से खोल सकते हैं।

 

  • जून 2014 में, महाराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर से डांस बार पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून में संशोधन किया। 15 अक्टूबर 2015 को, सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के कानून पर रोक लगाते हुए कहा कि यह 2005 में पारित कानून से बहुत अलग नहीं था जिसे उन्होंने पहले ही असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
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