एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर : कौन हैं संजय बारू, जिनकी किताब पर बनी फिल्म है सुर्खियों में

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म ‘ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर बवाल हो रहा है। मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे डॉ.संजय बारू ने इसी नाम से एक किताब लिखी थी जिसके आधार पर यह फिल्म बनी है। आइए आज जानते हैं कि संजय बारू कौन हैं…

डॉ. संजय बारू के पास राजनीतिक एवं आर्थिक विश्लेषण क्षेत्र में काम का काफी अनुभव है। वह 2004 से 2008 तक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। वह 1999 से 2001 के बीच भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के भी सदस्य रह चुके हैं। भारत-आसियान प्रमुख व्यक्ति समूह 2010 में वह रह चुके हैं। भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय समिति के भी वह 2002 से 2004 तक सदस्य रहे हैं। डॉ. संजय बारू ने साल 2017 में देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (फिक्की) के महासचिव का कार्यभार संभाला था। इस साल अप्रैल 2018 में उन्होंने फिक्की से इस्तीफा दे दिया।

पत्रकार के तौर पर डॉ. संजय बारू बिजनस स्टैंडर्ड के चीफ एडिटर, इकनॉमिक्स टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया के असोसिएट एडिटर रह चुके हैं। वह हैदराबाद विश्वविद्यालय, इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशंस, दिल्ली और ली कुआन येव स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी, सिंगापुर में अर्थशास्त्र के प्रफेसर भी रह चुके हैं।

किताब में शामिल किए अनुभव

2014 में उनकी एक किताब प्रकाशित हुई थी, ‘द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टरः द मेकिंग ऐंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’। उस किताब में उन्होंने मनमोहन सिंह के मीडिया अडवाइजर के तौर पर काम करने के अपने अनुभव को साझा किया है। उन्होंने किताब में लिखा है कि प्रधानमंत्री के तौर पर डॉ.मनमोहन सिंह के हाथ में पूरा नियंत्रण नहीं था। उन्होंने किताब में लिखा है कि सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सुपर कैबिनेट की तरह काम करती थी और सामाजिक कल्याण की योजनाओं का श्रेय डॉ.मनमोहन सिंह को न देकर सलाहकार परिषद को ही दिया जाता था।

इसी किताब के आधार पर बनी फिल्म ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर में डॉ.मनमोहन सिंह की भूमिका अनुपम खेर ने निभाई है तो संजय बारू की भूमिका में अक्षय खन्ना हैं।

मनमोहन सिंह को दी थी इस्तीफे की सलाह

उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जब दागी नेताओं को चुनाव लड़ने की इजाजत देने वाला बिल फाड़ा था तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी काफी आहत हुई थीं और चाहती थीं कि उनके पिता इस्तीफा दे दें। उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि 2009 में यूपीए के दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्होंने पीएम को कई बार इस्तीफा देने की सलाह दी थी।

बारू के मुताबिक राहुल गांधी के बिल फाड़ने की घटना के बाद, ‘आखिरकार मैं टीवी पर आया और मैंने कहा कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। मुझे उनकी बेटी की ओर से एक मैसेज मिला, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह मुझसे सहमत हैं।’ बारू ने हालांकि यह नहीं बताया कि पीएम की दोनों में से किस बेटी ने अपने पिता के इस्तीफा देने की बात पर सहमति जताई थी।

बारू ने कहा कि प्रधानमंत्री मानते थे कि 2009 लोकसभा चुनावों में यूपीए की जीत उनकी जीत थी। वह बताते हैं, ‘मैंने प्रधानमंत्री को कभी टांग पर टांग चढ़ाकर बैठे नहीं देखा था। लेकिन उस दिन (2 जून 2009) जब मैं उनसे मिला तो वह अपनी टांगें बांधकर बैठे हुए थे और जीत के बारे में बात कर रहे थे। लेकिन उन्हें किसी ने उस जीत का श्रेय नहीं दिया। मेरे दोस्त पृथ्वीराज चव्हाण, जिन्हें सिंह ही पीएमओ में लाए थे, उन्होंने भी कहा कि जीत का श्रेय राहुल गांधी को जाता है।’

मनमोहन सिंह से पुराना संबंध

संजय बारू का मनमोहन सिंह से सीधा संबंध 1991 से शुरू होता है लेकिन वैसे मनमोहन सिंह से उनका पुराना संबंध रहा है। संजय बारू के पिता बी.पी.आर.विठल भी मनमोहन सिंह के साथ काम कर चुके हैं। जब मनमोहन सिंह देश के वित्त सचिव ते तो बी.पी.आर.विठल उनके वित्त और योजना सचिव थे।

संजय बारू लिखते हैं कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 1991 से संबंध है। वह लिखते हैं कि उनकी मुलाकात डॉ.सिंह से उस समय हुई जब वह यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन के चेयरमैन थे और बारू खुद इकनॉमिक टाइम्स के असोसिएट एडिटर थे। उन्होंने मनमोहन सिंह का इंटरव्यू लिया था।

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