रवि किशन के लिए आसान नहीं रहा स्टार अभिनेता से सांसद बनने तक का सफ़र

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भोजपुरी सिनेमा के ‘बिग बी’, मेगास्टार रवि किशन आज अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका पूरा नाम रविन्द्र श्याम नारायण शुक्ला है। रवि किशन का जन्म 17 जुलाई, 1969 को उत्तर प्रदेश राज्य में जौनपुर जिले की केराकत तहसील के छोटे से गांव बिसुइन (बरैन) में हुआ था। ​अपने 25 साल के करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके रवि किशन का फिल्मों से लेकर राजनीति में उतरने तक का सफ़र आसान नहीं रहा। इस खास अवसर पर जानिए बेहद मुफ़लिसी में अपना बचपन गुजारने वाले इस भोजपुरी फिल्मों के स्टार अभिनेता व राजनेता के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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पिता को पसंद नहीं था रवि किशन का डांस करना

रवि किशन के पिता का नाम पंडित श्याम नारायण शुक्ला और उनकी मां का नाम जदावती देवी हैं। रवि पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता गांव में डेरी का एक छोटा सा बिजनेस करते थे। लेकिन वो काम बंद होने के बाद रवि के पूरे परिवार को जौनपुर में शिफ्ट होना पड़ा। रवि किशन को बचपन से ही डांस और एक्टिंग का रूचि रखते थे। गंगा के किनारे खेलते-खेलते रवि रामलीला में सीता का किरदार निभाने लगे, इसके लिए वो अपनी मां की साड़ियां चुराकर ले जाते थे। एक दिन उनके पिता को इस बारे में पता चला तो रवि को खूब मार पड़ी। उनके पिता फिल्मी दुनिया को सम्मानित पेशा नहीं मानते थे, इसलिए बेटे का एक्टिंग करना उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था। वह चाहते थे कि उनका बेटा दूध बेचे या पंडित बनें।

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17 साल की उम्र में मां से 500 रुपए लेकर मुंबई आए थे रवि

बचपन से एक्टिंग का कीडा पाले रवि किशन ने महज 17 साल की उम्र में अपनी मां से 500 रुपए लिए और भागकर मुंबई आ पहुंचे। यहां वो एक चॉल में रहकर फिल्मों में काम ढूंढने लगे। करीब 6 साल के लंबे संघर्ष के बाद रवि किशन को बॉलीवुड की फिल्म ‘पीताम्बर’ में एक रोल मिला। यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई। हालांकि, इसके बाद उन्हें कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे।

रवि ने ‘रानी और महारानी, जख्मी दिल, उधार की जिंदगी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया। लेकिन रवि किशन को पहचान सलमान खान स्टारर फिल्म ‘तेरे नाम’ से मिली। इस फिल्म में रवि ने अपने रियल लाइफ पिता को ही कॉपी किया था। रवि को इस फिल्म के बाद लोग जानने लगे थे।

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भोजपुरी फिल्म ‘सईयां हमार’ ने बदल दी क़िस्मत

वर्ष 2001 में रवि किशन के पास भोजपुरी फिल्म ‘सईयां हमार’ का ऑफर आया। उन्होंने यह ऑफर स्वीकार कर लिया और उनकी यह पहली भोजपुरी फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इसके बाद रवि ने ‘कन्यादान, गंगा जैसी माई’ जैसी कई हिट भोजपुरी फिल्में आईं, जिन्हें लोगों से भरपूर प्यार मिला। यही से रवि किशन के फिल्मी करियर ने उड़ान भरी। फिल्म ‘पंडित जी बताईन वियाह कैसे होई ने’ ​पर्दे पर सुपरहिट हुई और धीरे-धीरे रवि किशन भोजपुरी सिनेमा के बड़े स्टार बनते गए।

भोजपुरी के साथ ही रवि ने बॉलीवुड और साउथ इंडियन फिल्मों में भी काम किया। बिग बॉस के पहले सीजन में रवि खास मेहमान बनकर पहुंचे थे। बिग बॉस के घर में उनदिनों उनका एक देसी डायलॉग काफी हिट हुआ था, ‘जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बा’। इस रियलिटी शो से रवि किशन को देशभर में लोग जानने लगे।

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2014 में राजनीति की तरफ हुआ झुकाव, 2019 में चुने गए सांसद

अभिनेता रवि किशन का वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीति की तरफ झुकाव हुआ। उन्होंने इस साल कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। वर्ष 2017 में रवि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें योगी आदित्यनाथ की सीट रही गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भेजा। इस चुनाव में रवि किशन को 2 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत मिली। चुनाव के दौरान ‘जिंदगी झंड बा और गठबंधन के मुंह बंद बा’ स्लोगन के साथ रवि ने गोरखपुर की गलियों में चुनावी सभाएं की। अब वे अभिनेता होने के साथ ही 17वीं लोकसभा में गोरखपुर सीट से सांसद भी हैं।

पिताजी पिटाई ना करते तो गुंडा या पुरुष वेश्या बन जाता

रवि ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कहा था कि अगर पिताजी उनकी पिटाई ना करते तो आज मैं एक गुंडा या पुरुष वेश्या बन जाता। रवि किशन पर उनके पिता का गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने बताया था कि बचपन में वह अपने परिवार के साथ एक मिट्टी के घर में रहते थे। उनका कभी पढ़ाई में मन नहीं लगा। बकौल रवि ‘हमारे पास इतने पैसे भी नहीं रहते थे कि दिवाली पर मां के लिए एक साड़ी भी खरीद पाएं। मैं ये देखकर सोचता था कि या तो मैं मर जाऊंगा या पागल हो जाऊंगा या गुंडा बन जाऊंगा।’ आज रवि किशन का परिवार गांव में बड़े आलीशान घर में रहता है। उनकी पत्नी का नाम प्रीति है। इनदोनों की तीन ​बेटियां और एक बेटा है।

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