जाने-माने वकील व देश के भूतपूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी की आज 14 सितंबर को 100वीं जयंती है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में विधि मंत्री रहे जेठमलानी को आपराधिक मामलों में महारत हासिल थी। कानून की बारीकियों के बड़े जानकार जेठमलानी ने बतौर एडवोकेट देश के तमाम हाईप्रोफाइल मुकदमे लड़े थे। इन केसों की वजह से उनकी मीडिया में खूब चर्चा रहीं। वह भारतीय बार काउंसिल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे थे। इस ख़ास अवसर पर जानते हैं अपने समय में भारत के सबसे महंगे वकीलों में से एक रहे राम जेठमलानी के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था जन्म
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर, 1923 को भारत के सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) स्थित शिकारपुर शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम बूलचंद गुरमुखदास जेठमलानी और माता का नाम पार्वती बूलचंद था। राम ने स्कूल में डबल प्रमोशन प्राप्त किया था। वह 13 साल की उम्र में मेट्रीकुलेशन की पढ़ाई कर चुके थे। जेठमलानी ने महज 17 साल की कम उम्र में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री प्रथम श्रेणी से पूरी कर ली थी।
तब वकालत करने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष हुआ करती थी। उन्होंने इसे सिंध कोर्ट में चुनौती दी और केस जीत लिया। फैसले में 18 साल की उम्र में वकालत करने की छूट दे दी गई। राम जेठमलानी बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ही एलएलएम की पढ़ाई की थी, क्योंकि उस समय सिंध में यूनिवर्सिटी नहीं हुआ करती थी।
जेठमलानी की पहली शादी 18 की उम्र में हुई
राम जेठमलानी ने दो शादी की थी। उनकी पहली शादी दुर्गा देवी से 18 की उम्र में हो गई थी। वर्ष 1947 में बंटवारे से पहले उन्होंने दूसरी शादी रत्ना शाहनी से की थी, जो कि उन्हीं के प्रोफेशन से आती थी। उनके परिवार में दो पत्नी और उनके चार बच्चे शामिल थे। जेठमलानी की पहली पत्नी दुर्गा देवी से उन्हें तीन बच्चे रानी, शोभा और महेश हैं, जबकि दूसरी पत्नी रत्ना से एक पुत्र जनक जेठमलानी है। उनकी चार संतानें में से दो रानी और महेश सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हैं। महेश बीजेपी से जुड़े हुए हैं, वहीं रानी सोशल एक्टिविस्ट है। राम जेठमलानी के पिता और दादा भी वकील हुआ करते थे और वे चाहते थे कि राम इंजीनियर बनें।
देश के सबसे महंगे वकीलों में से एक थे जेठमलानी
राम जेठमलानी देश के सबसे प्रतिष्ठित और महंगे वकीलों में से एक थे। कहा जाता है कि जेठमलानी एक मुकदमा लड़ने के लिए औसतन 25 लाख रुपए फीस लेते थे, लेकिन कई केसों की फीस करोड़ों में होती थी। उनके महंगे वकील बनने तक का सफ़र एक पैसे से शुरु हुआ था। जब राम बंटवारे के समय पाकिस्तान के कराची से अपना सबकुछ छोड़कर भारत आए थे, तो उनकी जेब में महज एक पैसे का सिक्का ही मौजूद था। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चार बार चेयरमैन रहे। उन्हें बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद था। जेठमलानी लग्जरी कारों के बड़े शौकीन थे। उनके पास एक से एक महंगी कारों और कीमती घड़ियों का संग्रह था।
जेठमलानी ने चर्चित मुकदमों से बटोरी थीं सुर्खियां
अपने 96वें जन्मदिन से मात्र छह दिन पहले ही 8 सितंबर, 2019 को अलविदा कहने वाले राम जेठमलानी तमाम बड़े केस लड़ने की वजह से चर्चित रहे थे। उन्होंने आरोपी पक्ष की तरफ से उतरने के बावजूद अपने कानूनी दांव पेचों से जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। जेठमलानी ने वकील के तौर पर इंदिरा गांधी हत्याकांड और राजीव गांधी मर्डर केस में आरोपियों की तरफ़ से केस लड़ा था।
इनके अलावा जेसिका लाल हत्याकांड, नौसेना कमांडर नानावटी केस, बिहार चारा घोटाला, आडवाणी पर हवाला आरोप, संजय दत्त का एके-47 मामला, आसाराम दुष्कर्म मामला, केजरीवाल मानहानि मामला, सोहराबुद्दीन हत्याकांड जैसे मशहूर केस लड़े थे। राम जेठमलानी ने ललित मोदी, हाजी मस्तान, बाबा रामदेव, सुब्रत राय सहारा, जयललिता, कनिमोझी, केतन मेहता आदि हस्तियों के केस लड़े थे।
जेठमलानी का राजनीति से भी जीवनभर रहा लगाव
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कानून मंत्री रहे राम जेठमलानी का राजनीति से बड़ा लगाव था। जेठमलानी एक मुखर वक़्ता होने के साथ अपने शब्दों को स्पष्ट तरीके से रखने में विश्वास करते थे। उनके पास छह बार राज्यसभा सांसद और दो बार लोकसभा सांसद होने का लंबा राजनीतिक अनुभव था। सदन के सदस्य भी उनकी बात बड़े ध्यान से सुना करते थे। जेठमलानी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत सन् 1971 में ही कर दी थी। वह पहला चुनाव मुंबई के उल्हासनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की जमकर आलोचना की
आपातकाल के दौरान राम जेठमलानी को अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए भागकर कनाडा जाना पड़ा, जहां वो करीब दस महीनों तक रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की जमकर आलोचना की थी और उनके खिलाफ केरल की एक निचली अदालत ने गैर जमानती वॉरंट जारी कर दिया था। फिर क्या था नामी वकील जेठमलानी के समर्थन में 300 वकील साथ आए और बॉम्बे हाईकोर्ट ने वॉरंट को रद्द कर दिया।
कनाडा में रहते हुए ही वर्ष उन्होंने वर्ष 1977 का लोकसभा चुनाव बॉम्बे उत्तर-पश्चिम सीट से लड़ा व विजय हासिल की। इसके अगले चुनावों में यानि वर्ष 1980 में हुए आम चुनाव में भी जेठमलानी ने इस सीट से जीत हासिल की और फिर से लोकसभा पहुंचे। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर महाराष्ट्र से छठीं और सातवीं लोकसभा का चुनाव जीता था। हालांकि, साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें अभिनेता और कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील दत्त के सामने हार का सामना करना पड़ा था। मगर वर्ष 1988 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया।
वाजपेयी के ख़िलाफ़ जाकर लखनऊ से चुनाव लड़ा
वर्ष 1996 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में जेठमलानी भारत के क़ानून मंत्री बने। लेकिन तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी से मतभेद के कारण पीएम वाजपेयी ने उन्हें पद से हटा दिया। बहुत कम लोगों को पता है कि राम जेठमलानी अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ़ लखनऊ से चुनाव भी लड़े थे। यहां तक उन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भी अपनी उम्मीदवारी घोषित की थी। जेठमलानी पर हमेशा से ही अवसरवादी होने के आरोप भी लगते रहे। मगर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और जब चाहा जिस पार्टी में आते और जाते रहे।
वाजपेयी सरकार में कानून एवं शहरी विकास मंत्री रहे राम जेठमलानी वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के ख़िलाफ़ ही लखनऊ से चुनाव लड़ बैठे थे। हालांकि भाजपा ने उन्हें साल 2010 में फिर से पार्टी का सदस्य बनाकर राज्यसभा भेजा था, लेकिन राम ने पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के खिलाफ़ टिप्पणी कर दी, जिसकी वजह से उन्हें भाजपा से निष्काषित कर दिया गया। 90 वर्ष तक देश के सबसे बड़े क्रिमिनल लॉयर रहे जेठमलानी वर्ष 2016 से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से राज्यसभा में सांसद थे।
बयानों और महिलाओं से नजदीकियों के कारण सुर्खियों में रहे
राम जेठमलानी ने एक बार यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि ‘भगवान राम एक बहुत ही गैर-जिम्मेदार पति थे, मैं उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं करता।’ इसके अलावा उन्होंने कभी अभिनेता धर्मेन्द्र को तो कभी किशोर कुमार की पत्नी लीना चंदावरकर को सरेआम किस कर सुर्खियां बटोरी थी। शराब व महिलाओं से नजदीकियों के कारण भी राम जेठमलानी विवादास्पद बने रहे, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को स्वीकार कर लिया था। उनका कहना था कि 95 साल की उम्र में भी इतना सक्रिय रहने का कारण उनकी शराब और महिलाओं से नजदीकी है।
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