पीबीडी 2019 : इसलिए मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस

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दुनिया के सबसे प्राचीनतम शहर वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) के 15वें संस्करण की शुरुआत हो गई है। सोमवार को योगी आदित्यनाथ और सुषमा स्वराज ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। 23 जनवरी तक चलने वाले इस पीबीडी में आज पीएम नरेन्द्र मोदी शिरकत करेंगे। उनके साथ मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ मुख्य अतिथि होंगे।

गौरतलब है कि पीबीडी कार्यक्रम पहली बार आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में आयोजित हो रहा है। यह कार्यक्रम 23 जनवरी तक चलेगा जिसमें चर्चा, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित कई सत्र आयोजित किए जाएंगे। पिछले कई समय से आयोजित किए जा रहे प्रवासी भारतीय दिवस को क्यों मनाया जाता है। आइए आपको इसकी जानकारी देते हैं…।

गांधी जी लौटे थे स्वदेश इसलिए…

पीबीडी को मनाने के पीछे अहम कारण गांधीजी का स्वदेश लौटना है। दरअसल महात्‍मा गांधी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से स्‍वदेश वापस लौटे थे। गांधीजी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है जिन्‍होंने न सिर्फ भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम का नेतृत्‍व किया बल्‍कि भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। उनके इन्हीं प्रयासों को सेलिब्रेट करने और प्रवासियों को अपनेपन का अहसास करवाने के लिए ही पीबीडी की शुरुआत की गई थी।

ये है पीबीडी का मुख्य फोकस

— अप्रवासी भारतीय भारत के प्रति क्या सोचते हैं और उनकी देश को लेकर क्या भावनाएं हैं और वे देश से क्या चाहते हैं इन सब बातों के लिए मंच प्रदान करना ही पीबीडी का मुख्य उद्देश्य है।
— इसके जरिए विश्व के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों को एक नेटवर्क में लाना है।
— यूथ को अप्रवासी से कनेक्ट करना।
— विदेश में रह रहे देशवासियों को किस तरह की समस्याएं हैं और उनकी किस तरह मदद की जा सकती है इस पर विचार विमर्श करना।
— भारत छोड़कर बाहर रह रहे प्रवासियों को फिर से देश से जोड़ना। उन्हें यहां की संस्कृति से फिर से रूबरू करवाना। .
— भारत में निवेश के लिए उन्हें प्रेरित करना।

 

पीबीडी के अंतिम दिन यानी 23 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। गौरतलब है कि प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और पहला कार्यक्रम उस साल 9 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुआ था।

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