लेने को तो टेंशन बहुत है और ना लें तो एक भी नहीं

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जब हम छोटे थे तो बेफिक्र थे। किसी बात का तनाव नहीं होता था। बस, कैसे मस्ती करनी है और हंसना है यही दिमाग में रहता था। फिर धीरे—धीरे हम बड़े होने लगे। स्कूल, कॉलेज लाइफ तक भी ज्यादा लोड नहीं था लेकिन फिर जब जिम्मेदारियां बढ़ने लगीं तो एक चीज गिफ्ट में मिली वह था तनाव। शायद अपने बड़ों को लेते देख हमें भी लगा कि यह तो जिंदगी का जरूरी हिस्सा है। तनाव नहीं लिया तो फिर जिंदगी में बचा ही क्या।

धीरे धीरे यह तनाव कब हम पर हावी होने लगा पता ही नहीं चला। अब तो आलम यह है कि हम इसके इतने आदि हो चुके हैं कि तनाव लेने के मौके ढूंढने लगे हैैं। ज़रा जिंदगी के कुछ पन्ने पलटकर देखिए और अपने तनाव भरे पलों को याद करिए। ज़रा सोचिए कि किन बातों पर आपने तनाव लिया था। यकीन मानिए जब आप पारदर्शिता से विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि असल में उस समय तनाव लेने की ज़रूरत ही नहीं थी। वो ऐसा पल था जब सकारात्मक रहते हुए परिस्थिति को समझना था लेकिन हमें तो आदत है ना तनाव लेने की इसलिए लेना बहुत जरूरी था। नतीजन बहुत तनाव लिया, दिल दुखाया, सर दुखाया, आंसू बहाए और फिर परिस्थिति ठीक हो गई। इसलिए नहीं कि आपने इतना सब कुछ किया बल्कि इसलिए कि समय के साथ सब ठीक होता ही है फिर चाहो तो हंस लो या चाहो तो रो लो।

दुनिया में अवसाद पिछले कुछ समय में काफी विकराल रूप से फैला है। इसके पीछे सबसे प्रमुख वजह तनाव ही है। दरअसल, हमने इस टर्म को अपनी जिंदगी में इतनी ज्यादा तवज्जो दे दी है कि अब यह हमारे ही दिल और दिमाग पर राज करने लगा है। हमने अपने आप को इस कदर ढ़ाल लिया है कि अब तो बेवहज का तनाव लेना शौक बन गया है। गाड़ी पंचर हो गई, काम वाली छुट्टी पर चली गई, बॉस बहुत बोलता है, पड़ौसी कचरा डालता है, फलां ने घर ले​ लिया, बच्चे के नम्बर कम आ रहे हैं जैसे पचासों ऐसे तनाव की लिस्ट है, जिनका कोई वजूद ही नहीं है। ये सिर्फ इसलिए हमारे पास हैं क्योंकि इन्हें पालना हमें अच्छा लगता है।

ऐसा नहीं है कि जिंदगी में परेशानियां नहीं हैं। यकीनन है, लेकिन तनाव उस परेशानी को सिर्फ और सिर्फ बढ़ाने का काम करता है। हम जितना चीज़ों को समझकर ठंडे दिमाग से सुलझाने की कोशिश करेंगे, उतनी ही जल्दी परेशानियां दूर भागेंगी। लेकिन अक्सर हम चीज़ों को दिमाग में लेकर बैठ जाते हैं। बस, यहीं तनाव को हमें घेरने का मौका मिल जाता है। जिंदगी में बदलाव होंगे, परेशानियां आएंगी और दिल भी दुखेगा लेकिन यह स्थायी नहीं है। समय के साथ सभी परिस्थितियां बदलती हैं। इस बात को समझते हुए यदि खुश रहने की कोशिश की जाए तो तनाव होगा ही नहीं और जिंदगी स्मूद चलेगी।

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