बर्थडे: लक्ष्मी निवास मित्तल अपनी बिजनेस ट्रिक्स की बदौलत बन पाए ‘स्टील किंग’

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वर्ष 1975 में जब बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन अपनी बिसात बिछा रहे थे, उसी दौरान 25 साल का एक भारतीय युवा इंडोनेशिया में अपने पिता की ख़रीदी हुई ज़मीन पर स्टील प्लांट लगाकर बिजनेस इंडस्ट्री में कदम रख रहा था। आगे चलकर यही नौजवान दुनिया के रईस आदमियों में तीसरे नंबर पर पहुंचा। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सादुलपुर में पैदा हुए मारवाड़ी व्यापारी लक्ष्मी निवास मित्तल की जिनको दुनिया में स्टील किंग के नाम से जाना जाता है। 15 जून को बिजनेसमैन लक्ष्‍मी मित्‍तल का जन्मदिन है। इस खास मौके पर जानिए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…

लक्ष्मी मित्तल 15 जून, 1950 को राजस्थान के सादुलपुर जिले में पैदा हुए। 1960 में इनके पिता बिजनेस के सिलसिले में कोलकाता शिफ्ट हो गए। कोलकाता में ही लक्ष्मी के पिता ने सबसे पहले एक स्टील प्लांट लगाया। लक्ष्मी फिलहाल ‘आर्सेलर मित्तल’ के चेयरमैन और सीईओ हैं।

कॉलेज के दिनों से ही मिल में जाने लग गए थे मित्तल

लक्ष्मी मित्तल ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के ने सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहां से साइंस में ग्रेजुएट हुए। अपने कॉलेज के दिनों से ही वो अपने पिता की मिल में जाने लगे और कॉलेज के बाद वहीं से ट्रेनिंग ली।

1975 में मित्तल ने इंडोनेशिया में अपनी खुद की स्टील मिल खोली जिसे स्थापित करने में उन्हें 10 साल लग गए। आगे चलकर 1989 में उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो में भी अपने बिजनेस का विस्तार किया।

अपनी बिजनेस ट्रिक्स से पहना स्टील किंग का ताज

लक्ष्मी मित्तल के बिजनेस करने के तरीके का हर कोई कायल है। युवा बिजनेसमैन आज भी उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। कहा जाता है कि लक्ष्मी ने स्टील के बिजनेस को ऊपर उठाने के लिए शुरूआती दिनों में सरकारी मिल के लाइसेंस खरीदे। इसके बाद वह इन मिलों पर अपनी स्पेशल मैनेजमेंट टीमें भेजते थे। बिजनेस में इन्हीं कुछ तरीकों से आखिरकार एक दिन वो दुनिया में स्टील किंग के नाम से जाने गए। फिलहाल लक्ष्मी मित्तल और उनका परिवार लंदन में रहते हैं।

भारत में नहीं चला अभी तक मित्तल का सिक्का

लक्ष्मी मित्तल मूल रूप से भारतीय हैं लेकिन वो भारत में अपना बिजनेस कभी नहीं जमा पाए। हालांकि, पिछले काफी समय से वो इसके लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लग रही। कुछ समय पहले एस्सार स्टील जब बिकने के लिए बाजार में आई तो मित्तल की कंपनी आर्सेलर मित्तल ने भी खरीदना चाहा लेकिन कुछ सरकारी कारणों से ये डील आगे नहीं हो सकी।

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