उन्नाव रेप केस: कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद, 25 लाख का जुर्माना, जानिए कौन है कुलदीप सिंह सेंगर

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उन्नाव रेप केस में शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उम्रकैद के साथ ही कुलदीप सेंगर पर 25 लाख रूपये का जुर्मान भी लगाया गया है।

जब कोर्ट फैसला सुना रही थी उस वक्त कुलदीप सेंगर जज के सामने हाथ जोड़कर खड़े रहे। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को पीड़िता और उसके परिवार को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिए हैं।

कब हुई रेप की घटना

उन्नाव रेप की घटना वर्ष 2017 में 4 जून के दिन माखी गांव में घटित हुई। नौकरी की तलाश में जब पीड़ित युवती अपने पड़ोस में रहने वाले विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के पास गई थी तो उसे नौकरी देने की बजाय उसके साथ बलात्कार किया गया। जब पीड़िता ने पूरा मामला अपने घरवालों को सुनाया तो उन्होंने इंसाफ के लिए लड़ना उचित समझा।

पर पीड़िता को न्याय मिलना आसान नहीं था क्योंकि उस क्षेत्र में विधायक का रूतबा इतना ज्यादा था कि न्याय व्यवस्था भी बौनी नजर आती थी। युवती ने मुकदमा दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद सुनवाई नहीं हुई। जब सुनवाई नहीं हो रही तो उसने आत्मदाह करने की कोशिश की, फिर भी विधायक धमकाता रहा। इस प्रकार शुरू हुए इस मामले में पहले पीड़िता को अपने पिता को पुलिस हिरासत में खोना पड़ा। इसके अलावा पीड़िता के परिवार का विधायक ने जीना मुश्किल कर दिया। इस प्रकार तंग आकर युवती ने सुप्रीम कोर्ट के जज को चिठ्ठी भी लिखी। उसने एक—दो बार नहीं पूरे 35 बार शिकायत की, लेकिन तब भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इस प्रकार विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के आगे कानून, पुलिस और इंसाफ सब छोटे पड़े जा रहे थे?

राजनीति में दबदबा

वर्ष 1987 में मात्र 21 वर्ष की उम्र में कुलदीप सिंह सेंगर ने पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा, वह निर्विरोध जीत गया। उसका मुकाबला करने वाला वहां कोई नहीं था। कुलदीप को राजनीति विरासत में मिली थी। माखी गांव में उनके परिवार का दबदबा शुरू से ही रहा था। कुलदीप ने राजनीति के गुर अपने नाना बाबू सिंह से सीखें। आलम यह है कि कुलदीप की मर्जी के बिना कोई पर्चा तक नहीं भर सकता।

वर्ष 2002 में बहुजन समाजवादी पार्टी से लड़े

कुलदीप ने पहली बार विधानसभा का चुनाव वर्ष 2002 में बीएसपी के टिकट पर लड़ा और जीत दर्ज की। हालांकि वह काफी तेज तर्रार था, उसने बीएसपी में गुटबाजी करना शुरू कर दिया तो मायावती ने सेंगर को बाहर का रास्ता दिखा दिया। यहां से बाहर होने पर उन्होंने तुरंत समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया और बांगरमऊ से विधायक चुने गए। इसी प्रकार वर्ष 2012 में भगवंत नगर सीट से वह विधायक चुने गए। कुलदीप को उन्नाव की राजनीति में किसी अन्य का दखल मंजूर नहीं था और वर्ष 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष के टिकट को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी तकरार हो गई तब भी कुलदीप ने उनकी भी नहीं मानी। उसने सपा से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गया।

वर्तमान में बीजेपी विधायक हैं कुलदीप

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में वह बांगरमउ से चुनाव जीतें। उसकी जीत के पीछे कई कारण थे एक तो उसकी पैठ ठाकुर बहुल इलाके में थी और जातिगत समीकरण उसके पक्ष में था। वहीं, सेंगर को बाहुबली नेता रघुवर प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के गुट का अहम सदस्य माना जाता है। राजनैतिक रसूख के साथ-साथ सेंगर के परिवार की गुंडागर्दी भी अपने चरम पर है। उसकी तरफ यदि कोई उंगली उठाए तो वह उसे तोड़ने में पीछे नहीं रहता था। सेंगर ने जमकर अवैध खनन किया और पैसा कमाया। जब किसी रिपोर्टर ने इस मामले को उजागर किया तो सेंगर के गुर्गे उसके पीछे पड़ गए और उसकी पिटाई करने के साथ ही उसके खिलाफ मुकदमे लाद दिए। इलाके में दबंगई इतनी कि विधायक के भाई अतुल सेंगर ने पुलिस पर ही फायरिंग कर दी थी।

पैसा, गुंडागर्दी और सियासत से कुलदीप सिंह सेंगर की सल्तनत मजबूत करती चली गई। वह योगी सरकार में मंत्री न बना हो पर उसकी सरकार में खूब चलती है। उन्नाव में उसका रुतबा किसी मंत्री से कम नहीं हैं। सरकारी ठेके से लेकर शहर के साइकिल स्टैंडों के ठेके तक पर विधायक और उनके गुर्गों का कब्जा है। उन्नाव में सेंगर के खिलाफ आवाज उठाना तो दूर कोई चूं तक नहीं कर सकता। इन सब कारणों से यहां की पुलिस भी उसके खिलाफ कार्यवाही करने से डरती है। वह जेल में बैठकर भी पीड़िता के परिवार को डराता-धमकाता रहा और पुलिस चुपचाप सब देखती रही।

सेंगर को बीजेपी बाहर करने में दिखी सुस्त

वर्ष 2017 के इस रेप कांड को तीन साल गुजर गए हैं इस दौरान पीड़िता ने अपने पिता को और अब एक एक्सीडेंट में अपनी चाची, मौसी को खो दिया। पीड़िता खुद इस एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हो गई। वह अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है।

इतना सब कुछ होने के बाद भी बीजेपी ने केवल कुलदीप सिंह सेंगर को सस्पेंड कर रखा था, लेकिन निकालने के सवाल पर मौन हो जाती थी। अब जाकर पार्टी ने इतने बवाल के बाद सेंगर को पार्टी से निकाला है।

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