जानिये क्या है भारत का ‘एमीसेट’ जो पाक और आतंकियों की खैर-ख़बर लेगा?

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पाकिस्तान और आतंकी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए भारत ने अपना ‘हथियार’ तैयार कर लिया है। अब जल्द ही अंतरिक्ष में तैनात होने वाली हमारी इलेक्ट्रॉनिक खुफिया निगाहें आतंकी गतिविधियों पर नज़र रखेंगी। इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर एक उपग्रह तैयार किया है जो पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट या मानवीय मूवमेंट पर नज़र रखेगा। इस भारतीय सेटेलाइट के अंतरिक्ष में तैनाती के बाद भारतीय रक्षा एवं निगरानी सेवाओं में कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। उपग्रह को इसरो 1 अप्रेल को अंतरिक्ष में छोड़ने जा रहा है। इस सेटेलाइट का नाम ‘एमीसेट’ है। आइये जानते हैं इसके बारे में और अधिक..

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भारत का मिलिट्री सेटेलाइट है एमीसेट

डीआरडीओ और इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक़, एमीसेट भारत का एक मिलिट्री सेटेलाइट है। इसके सेटेलाइट के जरिए सीमाओं पर तैनात किसी दुश्मन देश के राडार और सेंसर पर निगरानी रखी जा सकती है। अंतरिक्ष में तैनात होने वाला भारत का एमीसेट सेटेलाइट दुश्मन के इलाकों का सही इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने और दुश्मन के इलाके में मौजूद मोबाइल समेत अन्य संचार उपकरणों की सटीक जानकारी देने का काम करेगा। इससे पहले इसरो ने 24 जनवरी को डीआरडीओ के एक सेटेलाइट माइक्रोसैट-आर को लॉन्च किया था। यह सेटेलाइट रात में अच्छी क्वालिटी की तस्वीरें लेने में भी सक्षम हैं।

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इसरो 28 विदेशी उपग्रह भी छोड़ेगा एमीसेट के साथ

इसरो 1 अप्रेल 2019 को सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर पीएसएलवी-सी45 रॉकेट से एमीसेट के साथ 28 अन्य विदेशी सेटेलाइट्स भी लॉन्च करेगा। इसरो पहली बार इन सभी उपग्रहों को तीन विभिन्न ऑर्बिट में छोड़ने जा रहा है। भारत का एमीसेट सेटेलाइट अंतरिक्ष में 749 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा। जबकि 28 विदेशी उपग्रह 504 किमी की ऊंचाई पर रहेंगे। इनके अलावा पीएसएलवी रॉकेट का चौथा स्टेज पीएस-4 485 किमी की ऊंचाई वाले ऑर्बिट में चक्कर लगाने का काम करेगा।

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डीआरडीओ और इसरो को 8 साल लगे हैं एमीसेट बनाने में

गौरतलब है कि पीएस-4 एक प्रायोगिक प्लेटफॉर्म है। इसमें ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम, ऑटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम और एरीस ये तीन पेलोड्स होंगे। ये तीनों पेलोड्स अंतरिक्ष में विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि एमीसेट सेटेलाइट के बारे में रक्षा मंत्रालय की 2013-14 की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार जिक्र आया था। डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च लेबोरेटरी हैदराबाद ने इसे कौटिल्य प्रोजेक्ट के तहत आठ साल में तैयार किया है।

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ये काम करेगा अंतरिक्ष में भारत का एमीसेट सेटेलाइट

1. सीमाओं पर मौजूद मोबाइल समेत अन्य संचार उपकरणों की सटीक जानकारी उपलब्ध कराएगा।

2. सीमाओं पर तैनात दुश्मन देश के राडार और सेंसर्स पर ख़ास निगरानी रखेगा।

3. दुश्मन के इलाकों का सटीक इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने में मदद करेगा।

4. मोबाइल और संचार उपकरणों के माध्यम से होने वाली बातचीत को डिकोड करने का काम करेगा।

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