8 नवंबर को जिस के-4 न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण करेगा डीआरडीओ, जानिए क्या है इसकी मारक क्षमता?

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DRDO-K-4-Nuclear-Missile

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानि डीआरडीओ भारत की रक्षा क्षेत्र में निकट भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई तरह के आधुनिक हथियार बनाने का काम बखूबी कर रहा है। डीआरडीओ इसके लिए निरंतर प्रयासरत है कि देश को अत्याधुनिक हथियारों के लिए किसी अन्य मुल्क पर निर्भर नहीं रहना पड़े। इसी के तहत डीआरडीओ 8 नवंबर को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम तट पर अपनी के-4 न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है। सबसे ख़ास बात है कि यह टेस्ट पानी के अंदर बने प्लेटफॉर्म से किया जाएगा। हालांकि, भारत इससे पहले भी अंडरवॉटर मिसाइल का सफ़ल परीक्षण कर चुका है। लेकिन इस बार पिछली बार तुलना में 5 गुना ज्यादा मारक क्षमता की मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा।

दूसरी अंडरवॉटर मिसाइल होगी के-4

के-4 न्यूक्लियर मिसाइल की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि यह 3500 किलोमीटर तक दूर बैठे किसी भी दुश्मन को बड़ी आसानी से निशाना बना सकती है। डीआरडीओ द्वारा निर्मित यह देश की दूसरी अंडरवॉटर मिसाइल है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने इससे पहले 700 किलोमीटर मारक क्षमता वाली बीओ-5 मिसाइल बनाई थी। डीआरडीओ न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन आईएनएस अरिहंत के लिए अंडरवॉटर मिसाइल बना चुका है। करीब तीन साल पहले भारत ने पहली बार अंडरवॉटर मिसाइल का सफ़ल परीक्षण करते हुए ख़ास मुकाम हासिल किया था।

डीआरडीओ ने दूसरी अंडरवॉटर मिसाइल के-4 से पहले 700 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली बीओ-5 मिसाइल देश की सेना के लिए तैयार की थी। सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत को स्वदेशी के-4 न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण पिछले महीने ही करना था, लेकिन किसी कारण से इसे टाल दिया गया था। जानकारी के लिए बता दें कि डीआरडीओ अपने अगले प्रोजेक्ट्स के तहत कुछ हफ्तों में ‘अग्नि-3’ और ‘ब्रम्होस’ जैसी जबरदस्त मारक क्षमता वाली मिसाइलों के परीक्षण की योजना भी बना रहा है।

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न्यूक्लियर सबमरीन वाला छठा देश है भारत

उल्लेखनीय है कि न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन शक्ति वाला भारत दुनिया का छठा मुल्क है। डीआरडीओ निर्मित पहली स्वदेशी न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन आईएनएस अरिहंत को अगस्त 2016 में नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था। भारत के अलावा सिर्फ़ अमरीका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ऐसी वॉटर न्यूक्लियर सबमरीन हैं। देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ ही निर्यात करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। अगले 5 साल में 35000 करोड़ के हथियार निर्यात करने की योजना है। मौजूदा समय में भारत का रक्षा निर्यात सालाना 11000 करोड़ रुपए है। साल 2024 तक इसे दोगुना बढ़ाने का लक्ष्य है।

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