बीड़ी बनाने वाले, साइकिल चलाने वाले यह पूर्व सांसद दूसरे नेताओं से हैं कुछ अलग

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भारत में जब कभी भी आप “नेता” शब्द सुनते हैं तो मन अपने आप ही एक छवि बना लेता है जैसे कि सफेद कुर्ता पायजामा होगा, गाड़ी होगी, रूतबा होगा। ऐसा जायज भी है क्योंकि अधिकतर नेताओं का यही माहौल होता है लेकिन हम एक ऐसे पूर्व नेता की बात करने जा रहे हैं जो इस छवि में फिट नहीं बैठते वो कुछ और ही हैं।

नाम है राम सिंह अहिरवार। मध्य प्रदेश बुंदेलखंड से ये सांसद हुआ करते थे और फिलहाल बीड़ी बनाते हैं। पूरे इलाके में लोग इनको साइकिल वाले नेताजी के नाम से जानते हैं। सागर शहर की पुरव्याउ टोरी मुहल्ले में संकरी गली में इनका एक नॉर्मल सा मकान है और साइकिल चलाने के अलावा घर में ही बीड़ी बनाने का काम भी कर लेते हैं। साइकिल पर सवार रहने वाले नेताजी के पास दर्शन शास्त्र में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की डिग्री है।

रामसिंह की उम्र फिलहाल 82 के पार हो गई है। इसके बावजूद वे कई किलोमीटर साइकिल अभी भी चला लेते हैं। उनमें पास कोई मोटरसाइकिल या कार नहीं है। उनका कहना है कि मोटर वाहन की कभी उन्हें जरूरत महसूस नहीं हुई। कुछ समय पहले रामसिंह को लकवा मार गया था जिसके बाद से ही उन्हें बोलने में थोड़ी दिक्कत होती है लेकिन फिर भी वे साइकिल निरंतर चलाते हैं।

कैसे बने थे सांसद-

अपने सांसद बनने की कहानी में राम सिंह ने बताया कि वे विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे और बाकी समय में वे बीड़ी बनाकर अपना गुजारा करते थे। ये दौर जनसंघ का और उन्हें सागर शहर संसदीय शहर से टिकट दिया और वे जीत भी गए। 1967 का ये दौर था जब उन्होंने जनसंघ की ओर से चुनाव लड़ा था। फिलहाल राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं।

इन समस्याओं का करना पड़ा सामना

रामसिंह को सांसद बनने के बाद पेंशन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस बारे उन्होंने कहा कि कई प्रयासों के बाद उनकी पेंशन 2005 से शुरू हो पाई। रामसिंह ने आगे बताया कि मध्यप्रदेश में कई सालों तक बीजेपी की सरकार रही और केंद्र में भी बीजेपी की ही सरकार है लेकिन कभी भी कोई भी नेता उनसे सलाह मशवरा करने नहीं आया और उन्होंने राजनीति के इस गिरते स्तर को लेकर भी चिंता जताई। रामसिंह की पत्नी कहती हैं कि उन्हें पेंशन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था और अब उसी से हमारा गुजारा होता है।

आस पड़ोस के लोग भी रामसिंह की इस सादगी के कायल हैं। पड़ोसियों का मानना है कि वे काफी सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। इतने बड़े पद पर रहने के बाद भी उन्होंने अपना जीवन सादगी से जारी रखा है।

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