पत्रकार छत्रपति हत्याकांड : वो रात जब दरवाजा खोलते ही गोलियां बरसाने लगे राम रहीम के गुर्गे

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देश में कथित बाबाओं पर कसती नकेल की चपेट में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के आने के बाद आज एक अन्य मामला पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट सजा का ऐलान करने जा रहा है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर 11 जनवरी को राम रहीम को दोषी पाया था और उसके साथ 4 अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया गया है।

गौरतलब है कि इस समय गुरमीत राम रहीम आश्रम में साध्वियों के यौन शोषण मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे हैं। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने का मामला भी कहीं ना कहीं इससे जुड़ा हुआ है।

रामचंद्र छत्रपति अपने खुद के अखबार में काफी समय से साध्वियों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं। डेरा के लोगों ने उनको कई धमकियां दीं और आखिरकार 24 अक्टूबर 2002 को गोली मारकर उनकी सरेआम हत्या कर दी गई।

क्या हुआ था उस रात ?

छत्रपति के बेटे के अनुसार उस दिन करवाचौथ था, हमारे परिवार में किसी की तबियत अचानक बिगड़ने से मां को मायके जाना पड़ा। पिता जो हमेशा देरी से घर आते थे उस रात जल्दी घर लौटे। जब खाने की टेबल पर हम लोग बैठे तभी छत्रपति को बाहर से किसी ने आवाज दी।

छत्रपति खुद देखने के लिए गए और उनके साथ उनका बेटा अंशुल भी था। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने बंदूक तानकर 2 लोग खड़े थे। इससे पहले कि वो कुछ बोलते अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे और रामचंद्र छत्रपति को पांच गोलिया लगीं और वह जमीन पर गिर गए।

हत्यारे गोली मारकर वहां से तुरंत फरार हो गए। दोनों इस तरह घबरा गए कि एक स्कूटर पर बैठना ही भूल गया ऐसे में एक को मौके से ही पकड़ लिया गया।

कुछ समय बाद पुलिस ने दूसरे हत्यारे को भी गिरफ्तार कर लिया। जो रिवॉल्वर हत्यारों के इस्तेमाल किया उसका लाइसेंस डेरा प्रधान किशनलाल का था। आखिरकार कुछ दिनों में किशनलाल ने भी सरेंडर कर दिया।

पुलिस के रवैये ने परिवार को किया परेशान

अस्पताल में दिए बयान में छत्रपति ने गुरमीत राम रहीम का नाम लिया लेकिन पुलिस शुरू से ही अपनी जांच को गिरफ्तार किए 3 लोगों तक ही रखने की कोशिश करती रही। काफी समय बाद परिवार सीबीआई जांच की मांग करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा और 2003 में सीबीआई ने जांच शुरू की।

बेटे ने कहा- राम रहीम को मिले फांसी

न्याय के लिए छत्रपति के परिवार को लंबा इंतजार तो करना पड़ा लेकिन आखिरकार उन्हें न्याय जरूर मिला। परिवार का मानना है कि साध्वियों के यौन शोषण मामले में फैसला सुनाए जाने के बाद उनका कोर्ट पर भरोसा बढ़ा और न्याय की उम्मीद बढ़ी।

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