“योग इस्लाम के खिलाफ है” इस बात में कितनी सच्चाई है?

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आज 21 जून यानि इंटरनेशनल योग डे है। प्रधानमंत्री सहित पूरे देश में इसको लेकर माहौल देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने 40 हजार लोगों के साथ मिलकर योग डे मनाया। हर बार की तरह भाषण भी हुआ जिसमें मोदी ने योग के महत्व के बारे में बताया और कहा कि यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और लोगों को इसका प्रसार करना चाहिए।

भारत विविधताओं वाला देश है। हर तबके कोई हर चीज पसंद आए जरूरी नहीं लेकिन इसी कड़ी में योग का भी कोई जनरल पर्सपेक्टिव नहीं है। कुछ लोग इसका विरोध भी करते नजर आ ही जाते हैं। ऐसे में योग डे के साथ विवाद भी उभरता है।

औवेसी ने योग को लेकर क्या कहा था?

औवेसी ने कुछ समय पहले बयान दिया था कि योग इस्लाम के खिलाफ है। इस पर उन्होंने तर्क भी दिया और कहा कि मुसलमान सिर्फ अपने अल्लाह के सामने झुकता है तो वो सूर्य नमस्कार करके सूर्य के सामने क्यों सिर झुकाए?

योग दिवस की शुरूआत चार साल पहले हुई थी। जब पहला योग दिवस मनाया जा रहा था तो इस मौके पर पाकिस्तान दूतावास पर जाकर भारतीय कर्मचारियों को भी इसकी ट्रेनिंग दी जानी थी लेकिन पाकिस्तान की ओर से ट्रेनिंग के लिए इंडिया से पाकिस्तान जा रहे लोगों का वीजा रद्द कर दिया।

मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने भी योग पर अपना विचार साफ किया था और कहा था कि योग करना इस्लाम की भावना के खिलाफ है। अब आपको क्या लगेगा? यही कि जहां पर मुस्लिम ज्यादा हैं वहां पर लोग योग के खिलाफ होंगे? लेकिन ऐसा है नहीं।

पाकिस्तान और योग

पड़ोसी देश पाकिस्तान में योग का महत्व बढ़ रहा है। बड़े बड़े शहर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के दिहाती इलाकों में भी लोग योग करते मिल जाते हैं। वे लोग जानते हैं योग करने के कई फायदे हैं और उन्हें फायदा मिल भी रहा है। पाकिस्तान की आवाम को योग में कुछ इस्लाम विरोधी नहीं लगता। वे सेहत के लिए इसके करते हैं और इसे एक इलाज के रूप में लेते हैं। अभी भी कविन्स नहीं हुए हैं तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में टीवी पर कई बार योग की ट्रेनिंग के कार्यक्रम तक भी आयोजित किए जाते हैं।

योग को धर्म की निगाह से देखना गलत

शमशाद हैदर का यहां नाम जरूर लिया जाना चाहिए। पाकिस्तान में योग ट्रेनर के रूप में वे काफी फेमस हैं। उन्होंने योग भारत से ही सीखा है। उन्हें पाकिस्तान का योग गुरू माना जाता है और पाकिस्तान की आवाम को वे कई सालों से योग सिखा रहे हैं। इसके लिए वे योग कैंप भी चलाते हैं।

वहां के लोग खुद इस बात को मानते हैं कि योग से उन्हें कई बीमारियों से फायदा मिला है। आरिफा जाहिद हैं जो कई सालों से महिलाओं को पाकिस्तान में योग सिखा रही हैं। खुद घुटने की बीमारी से जूझ रही थी लेकिन योग के सहारे ही उन्होंने इस दर्द को ठीक किया। आरिफा का योग से जुड़ा एक प्रोग्राम टीवी पर भी आता है।

भारत में कुछ लोगों का तर्क होता है कि सूर्य नमस्कार के दौरान ओम का उच्चारण किया जाता है जो कि इस्लाम भावना के खिलाफ है लेकिन आरिफा ने इसका बड़ा ही मजेदार हल निकाला है। उन्होंने कहा कि जब आप सूर्य नमस्कार करें तो आप बिस्मिलाह पढ़ लिया कीजिए।

पाकिस्तान की एक योगा टीचर का कहना है कि उर्दू में बयां हो या संस्कृत में फूलों की खुशबू तो वही है। पाकिस्तान में योगा यहीं नहीं थमता। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान से ही कई लोग योग सीखकर दूसरे देशों में ट्रेनिंग देने जाने की तैयारी में हैं ताकि रोजगार सुनिश्चित किया जा सके।

ईरान तक भी पीछे नहीं

पाकिस्तान के अलावा ईरान की अगर बात करें तो वहां पर भी लोगों ने योग के महत्व को जाना है। यहां तक कि वहां पर योग फेडरेशन तक भी चल रहा है। फेडरेशन के कार्यक्रमों पर योग के हर एक आसन के बारे में और उसके फायदे के बारे में चर्चा की जाती है।

कुछ साल पहले की ही बात है। ईरान के राजदूत गुलाम रजा अंसारी हरिद्वार में बाबा रामदेव के मशहूर पतंजलि योगपीठ पहुंचे थे। वहां भी उन्होंने कहा था कि योग से दुनिया को जीवन से संबंधित नई दृष्टि मिली है और इसको हर जगह प्रसारित किया जाना चाहिए।

तो योग एक अभ्यास है जो हर किसी को अपनाने की जरूरत है। बिना किसी मजबूत तर्क के इसका विरोध निराधार है। फायदों के बारे में तो सोचिए। धर्म की आंख से इसको देखने की जरूरत ही नहीं है।

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