आईसीसी ने सनथ जयसूर्या पर लगाया 2 साल का प्रतिबंध, पढ़े उनका क्रिकेट सफर

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श्रीलंका क्रिकेट के पूर्व कप्तान सनथ जयसूर्या ने दो बार आईसीसी के एंटी करप्शन कोड का उल्लंघन किया, जिसके कारण नियमों के मुताबिक उन पर आईसीसी की ओर से 2 वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया है।

बता दें जयसूर्या श्रीलंका की 1996 विश्वकप विजेता टीम के अहम सदस्य रह चुके हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह दो बार श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड की चयसमिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। श्रीलंका क्रिकेट में बड़े स्तर पर फैले भ्रष्टाचार की आईसीसी की जांच के दौरान जयसूर्या से पूछताछ की गई थी।

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) क्रिकेट की सर्वाेच्च नियामक संस्था है जिसने श्रीलंका के पूर्व महान ऑलराउंडर सनथ जयसूर्या को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इसके लागू होने के साथ ही सनथ जयसूर्या अब क्रिकेट प्रशासन में भी कोई भूमिका नहीं निभा पांएगे। एंटी करप्शन कोड का उल्लंघन करने पर आईसीसी ने जयसूर्या के खिलाफ यह एक्शन लिया है।

जयसूर्या ने दो बार आईसीसी के एंटी करप्शन कोड का उल्लंघन किया था। जिसके बाद नियमों के मुताबिक उन पर आईसीसी की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है। श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड में चयनकर्ता पद पर रहने के दौरान मैच फिक्सिंग को लेकर सनथ जयसूर्या की भूमिका पर कई सवाल उठे।

जयसूर्या से आईसीसी ने कई बार जांच में सहयोग करने के लिए कहा। पर उसने हर बार आईसीसी के निर्देश की अवहेलना की। जिसके कारण उन्हें आईसीसी के आचार संहिता के अनुच्छेद 2.4.6 (आईसीसी की जांच में सहयोग ना करना) और अनुच्छेद 2.4.7 (आईसीसी की जांच में बाधा डालना व सबूतों के साथ छेड़छाड़) के तहत दोषी पाया गया है।

आईसीसी के जनरल मैनेजर (एसीयू) एलेक्स मार्शल ने कहा, ‘इस नियम के तहत मिली सजा यह दर्शाती है कि आईसीसी की जांच में सहयोग करना कितना महत्वपूर्ण है। ये कोड क्रिकेट में भ्रष्टाचार दूर करने व उसकी जांच में सहयोग करने के लिए अहम है।’

सनथ जयसूर्या ने खुद आचार संहिता के उल्लंघन की बात कबूल की, जिसके बाद आईसीसी ने उन्हें दो साल के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला किया।

सनथ जयसूर्या के क्रिकेट करियर और रिकॉर्ड

श्रीलंका के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सनथ जयसूर्या का जन्म 30 जून, 1969 को हुआ था।
श्रीलंका के इस धाकड़ बल्लेबाज व स्पिन गेंदबाज के क्रिकेट करियर की शुरुआत बहुत ही खराब रही। वे श्रीलंका की टीम में फिलर की तरह इस्तेमाल किये जाते थे यानि यदि कोई खिलाड़ी चोट के कारण बाहर हो गया तो उसके स्थान पर जयसूर्या को टीम में स्थान मिलता था।
जयसूर्या ने 1989 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला था। उसने फरवरी 1991 में हैमिल्टन में न्यूजीलैण्ड के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरूआत की थी।

जिम्बाब्वे के खिलाफ खेल मैच ने बदली दी किस्मत
जयसूर्या को श्रीलंकाई टीम में एक स्पिन गेंदबाज के रूप में लिया गया था, लेकिन तेज तर्रार बल्लेबाजी की क्षमता के कारण जल्द ही वह श्रीलंका के लिए वनडे के साथ ही टेस्ट में भी ओपनिंग करने लगे।

जयसूर्या के लिए 1992 का वनडे विश्व कप क्रिकेट करियर को नई उड़ान देने के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। इस विश्व कप में जिम्बाब्वे द्वारा दिया गया 300 से अधिक रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करने में जयसूर्या बड़ी भूमिका निभाई थी। उसने निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका को जीत दिलाई थी। इस मैच में 32 रनों की मैच विनिंग पारी ने सनथ जयसूर्या के करियर में अहम भूमिका निभाई और इसके बाद टीम में उन्हें बल्लेबाजी के लिए ऊपर के क्रम में भेजा जाने लगा।

वनडे क्रिकेट में ओपनिंग की दिशा ही बदल दी थी जयसूर्या ने

जयसूर्या ही वह खिलाड़ी था जिसने वनडे क्रिकेट में ओपनिंग की परिभाषा बदल दी। जब वह ओपनिंग में आते थे तो गेंदबाजों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था, क्योंकि वे शुरूआत से ही आक्रामक खेलते थे। जिसका कारण था क्षेत्ररक्षण की पाबंदियों का फायदा उठाने के लिए बॉल पर तेज प्रहार करके अधिक से अधिक रन बनाना। इस काम में जयसूर्या माहिर थे और यहीं से वनडे ओपनिंग में हर बल्लेबाज इस प्रकार तेज तर्रार शुरूआत करने लग गये।

1996 में श्रीलंका की विश्व कप जीत के नायक बने
1996 में क्रिकेट विश्व कप भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में सम्पन्न हुआ। अर्जन राणातुंगा के करिश्माई नेतृत्व में खेल रही श्रीलंकाई क्रिकेट टीम ने अपने प्रदर्शन से इस विश्व कप में खेल रहीं क्रिकेट जगत की कद्दावर टीमों को हैरत में डाल दिया। श्रीलंका ने इस विश्व कप में इंग्लैंड और भारत को तो हराया ही, फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम को हराकर पहली बार विश्व खिताब पर कब्जा जमाया। इस विश्व कप से श्रीलंका क्रिकेट टीम की जीत के नायक थे सनथ जयसूर्या।

इस विश्व कप में सनथ जयसूर्या अपने ऑलराउंड प्रदर्शन के दम पर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुने गये और क्रिकेट जगत का सुपरस्टार बन गए। इसके बाद जयसूर्या ने अपने क्रिकेट करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई रिकॉर्ड्स बनाते चले गए।

1997 में जयसूर्या ने पाकिस्तान के खिलाफ मात्र 48 गेंदों में शतक ठोककर सबसे पहले कम गेदों पर शतक का रिकॉर्ड बना दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उसी टूर्नामेंट में मात्र 17 गेंदों में अर्धशतक भी बनाया।

टेस्ट में बनाया रिकॉर्ड

वनडे में तो दुनिया ने सनथ जयसूर्या की बल्लेबाजी के जलवे देख लिए थे। वह यही नहीं रूका उसने टेस्ट क्रिकेट में भी कई रिकॉर्ड अपने नाम किये। उन्होंने भारत के खिलाफ कोलंबो में 340 रन बनाकर श्रीलंका की ओर से टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड तोड़ा। इस मैच में जयसूर्या ने रोशन महानामा के साथ मिलकर रिकॉर्ड 576 रनों की साझेदारी की थी, जो टेस्ट क्रिकेट में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी थी।
उनके द्वारा बनाए गये इस रिकॉर्ड को श्रीलंका के ही कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने ने तोड़ा (तीसरे विकेट के लिए 624 रनों की साझेदारी)।

सनथ जयसूर्या ने श्रीलंकन क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में भी देश का प्रतिनिधित्व किया और काफी सफल भी रहे। उन्होंने साल 2011 में क्रिकेट को अलविदा कहा।

वह क्रिकेट के पहले सुपरस्टार ऑलराउंडर थे, जिसने इस खेल के कई अन्य खिलाड़ियों को प्रेरित किया।

जब उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहा तब उनके नाम टेस्ट, वनडे और टी-20 क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में कुल 21,032 रन, 42 शतक और 103 अर्धशतक दर्ज थे। उन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में 440 विकेट भी चटकाए।

उन्होंने श्रीलंका के लिए 1989 से 2011 तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेली है। इस दौरान उन्होंने 445 वनडे मैचों में 13,430 रन बनाए और 323 विकेट भी लिए हैं। उनके नाम 28 शतक और 68 अर्धशतक है।

उन्होंने 110 टेस्ट मैचों में 6973 रन बनाए जिसमें 14 शतक और 31 अर्धशतक शामिल है तथा 98 विकेट भी लिए।

वे सबसे ज्यादा वनडे मैच 443 खेलने वाले तीसरे खिलाड़ी है। सबसे ज्यादा वनडे का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम 463 मैच है।

उनका वनडे क्रिकेट में सर्वोच्च स्कोर भारत के खिलाफ 189 है।

जयसूर्या और उपुल थरंगा के नाम वनडे क्रिकेट में पहले विकेट के लिए सबसे बड़ी 286 रन की साझेदारी का रिकॉर्ड है। जो 2006 में इंग्लैण्ड के खिलाफ बनाई थी।

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