क्या होती है होटल पॉलिटिक्स, सरकार बचाने के लिए सियासी गलियारों का पुराना नाटक

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देश की राजनीति में कर्नाटक का नाटक एक बार फिर चर्चा में है। सत्ता के लिए विधायकों का ड्रामा एक बार फिर शुरू हो चुका है। ड्रामे की शुरूआत मकर संक्रांति के दिन हुई जब एचडी कुमारस्वामी सरकार से दो विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद मीडिया में सरकार गिरने की खबरें आग की तरह फैलने लगी।

अब यह बताया जा रहा है कि कांग्रेस के 5 और विधायक समर्थन वापस ले सकते हैं ऐसे में 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा भंग हो सकती है। बहुमत के लिए सरकार 113 का जो जादुई आंकड़ा है 5 विधायक और जाने के कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के आसार बढ़ जाएंगे।

ऐसे में बीजेपी खेमे में एक खुशी की लहर है। बीजेपी ने इस पूरे मसले को ‘ऑपरेशन लोटस 3.0’ नाम दिया है जिसका मतलब है कि जल्द ही बीजेपी कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की रणनीति में है।

क्या कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर जाएगी? क्या कर्नाटक में फिर से येदियुरप्पा एक नई पारी की शुरूआत करेंगे? इन सवालों का जवाब मिलना अभी बाकी है लेकिन कर्नाटक के सियासी गलियारों में इस तरह का नाटक कोई नया नहीं है।

विधायकों को होटलों में छुपाने की राजनीति का गवाह रहा है कर्नाटक

कर्नाटक की राजनीति ने विधायकों को होटलों में छुपाने या छुपने वाले कई दौर देखे हैं। ताजा हालातों की बात करें तो कांग्रेस ने अपने विधायक मुंबई के एक रिजॉर्ट में रखें हैं तो टूट-फूट के डर से बीजेपी ने भी अपने सभी 104 विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में ठहराया हुआ है।

होटल पॉलिटिक्स

हालांकि ऐसा नहीं है कि जिस होटल पॉलिटिक्स की हम बात कर रहे हैं वो सिर्फ कर्नाटक में ही होती हो इसके अलावा तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र भी ऐसे राजनीतिक हालात झेल चुके हैं। साल 1984 में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ने इस कल्चर की शुरूआत की थी जब उन्होंने अपने विधायकों को होटल में छुपाकर सरकार गिरने से बचाया था।

जब येदियुरप्पा बिना बहुमत साबित किए गए बने थे मुख्यमंत्री

कर्नाटक में ये खेल काफी बार खेला जा चुका है। बीते साल जब त्रिशंकु जनादेश आया तब बीजेपी सरकार बनाने में चूक गई तब विधायकों के इधर-उधर जाने के डर से कांग्रेस ने अपने विधायकों को बेंगलुरु के एक होटल में छिपाया था।

इस दौरान येदियुरप्पा बहुमत ना होते हुए भी मुख्यमंत्री बन गए और आने वाले 15 दिनों में उन्हें बहुमत साबित करना था, ऐसे में कांग्रेस ने अपने विधायकों को खूबसूरत और सुविधा संपन्न वाले रिजॉर्ट में भेजा था।

वहीं साल 2011 में भी येदियुरप्पा सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर विधायकों को लेकर रिजॉर्ट में जाकर बैठ गए थे। अगले साल 2012 में भी कुछ ऐसा ही हुआ।

कहां-कहां हो चुकी है होटल पॉलिटिक्स?

महाराष्ट्र में बीजेपी ने लातूर नगर निगम के चुनावों में 39 पार्षदों को गोवा के एक रिजॉर्ट में छुपाया तो बीते साल तमिलनाडु में भी ऐसा देखने को मिला।

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