मई महीने में इतना बढ़ा देश में जीएसटी कलेक्शन, चौंकाने वाले हैं आकंड़े

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देश में जीएसटी कलेक्शन में गत महीने रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, मई में जीएसटी कलेक्शन 12 प्रतिशत बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इससे पहले अप्रैल 2023 में जीएसटी राजस्व संग्रह 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा था। अब तक का टैक्स कलेक्शन का सर्वाधिक आंकड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी कलेक्शन अप्रैल महीने में 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो अब तक का रिकॉर्ड है।

इससे पहले मार्च 2023 में देश का जीएसटी कलेक्शन 1,60,122 करोड़ रुपये का रहा था। बीते वर्ष अप्रैल 2022 में जीएसटी कलेक्शन 1,67,540 करोड़ रुपये रहा था, यानी एक साल पहले के मुकाबले इस साल अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन में 19,495 करोड़ अधिक हुआ है। एक साल पहले की तुलना में इस वर्ष जीएसटी संग्रह में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी

देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर मार्च 2023 को खत्म हुई तिमाही में 6.1 फीसदी रही। पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में यह आंकड़ा चार फीसदी था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चौथी तिमाही में देश की जीडीपी 6.1 फीसदी दर्ज की। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 9.1 फीसदी रही थी।

वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में बेहतर जीडीपी वृद्धि से उत्साहित मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, भारत ठोस आर्थिक प्रदर्शन के एक और वर्ष की ओर देख सकता है। अनुमानित 6.5 प्रतिशत जीडीपी समान रूप से संतुलित है और चालू वित्त वर्ष में इससे ज्यादा वृद्धि की संभावना है। हम व्यापक आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ संयुक्त रूप से निरंतर आर्थिक गति की गाथा पेश कर सकते हैं। महंगाई चालू वित्त वर्ष में 5 फीसदी रह सकती है।

बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4% पर

केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रहा। वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के राजस्व-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए बुधवार को बताया कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये (अस्थायी) रहा है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए बाजार से कर्ज लेती है।

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