क्या बिहार के मासूमों के लिए रसभरी लीची बन गई जहर ?

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बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जिले में बच्चों की रहस्यमयी तरीके से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 54 पहुंच गई है। हालांकि अभी तक मौत के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है लेकिन बिहार के कुछ मेडिकल प्रोफेशनल का कहना है कि मौत का कारण लीची हो सकता है।

गौरतलब है कि लीची पैदावार में मुजफ्फरपुर भारत की सबसे बड़ी जगह है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2017 में 32,000 हेक्टेयर से 300,000 मीट्रिक टन लीची की पैदावार हुई।

बिहार के बच्चों में तेजी से एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) फैल रहा है जिसे आम बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार भी कहा जाता है। यह एक दिमागी बीमारी है। इस बीमारी में तेज बुखार, उल्टी, जी मचलाना और दौरे पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

अब इस मामले पर बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी कर कहा है कि “माता-पिता अपने बच्चों को खाली पेट लीची ना खिलाएं”। वहीं बच्चों को कम पकी हुई लीची से भी दूर रखने की चेतावनी दी है।

लीची और चमकी बुखार

हर साल इस समय के आसपास बच्चे चमकी बुखार की चपेट में आ जाते हैं। यह वह मौसम भी है जब लीची पक जाती है, उसे मंडियों में भेजा जाता है। 2014 में मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चमकी बुखार के मामलों की संख्या 1,028 थी और 2015 में यह 390 थी। वहीं अगले दो सालों में इन मामलों में गिरावट देखी गई जहां 2016 में केवल एक और 2017 में नौ बच्चे बीमार पाए गए।

क्या लीची वाकई जहर का काम कर रही है?

दरअसल बच्चों की मौत का कारण हाइपोग्लाइकेमिया है जिसमें खून में ग्लूकोज की कमी हो जाती है। बिहार में कुपोषित बच्चे बड़े पैमाने पर हैं। बच्चे लीची खाने के लिए बगीचे में जाते हैं जहां कभी-कभार आधे पके या कच्ची लीची खा लेते हैं।

जिसके बाद शाम को वो घर लौटते हैं तो कभी-कभी रात का खाना छोड़ देते हैं जिससे रात में हाइपोग्लाइकेमिया हो जाता है। मेडिकल जर्नल The Lancet ने 2017 में एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया कि मौतें लीची की फसलों में मौजूद किसी भी तरह के संक्रमण से नहीं हुई है।

रिसर्च करने वाली टीम ने बताया कि खाने की कमी और लीची के बीजों में मौजूद हाइपोग्लाइसीन ए और मिथाइलीनाइक्लोप्रोपाइलग्लिसिन (MCPG) मिलकर बीमारी का कारण बनते हैं। इसके बाद बच्चों को अस्पताल ले जाने में देरी से उनका ग्लूकोज लेवल कंट्रोल नहीं किया जाता जिसके कारण मौत हो जाती है।

दूसरी तरफ लीची को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है !

हालांकि, कुछ मेडिकल प्रोफेशनल को यकीन नहीं है कि लीची मौत का कारण बन सकती है। कुछ का कहना है कि अगर मौत के पीछे लीची कारण है तो इससे सभी लीची उगाने वाले इलाकों में बच्चे प्रभावित होते और सिर्फ मुज़फ़्फ़रपुर और उसके आसपास के इलाकों तक सीमित नहीं रहते।

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