पूनम कंवर : घूंघट में वोट मांग रही है भाजपा की यह प्रत्याशी, वंशवाद का साक्षात उदाहरण

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राजनीति में जिस तरह नेता और मतदाता का रिश्ता है उसी तरह वंशवाद की छाया भी हर पार्टी में शुरू से रही है। चुनावों में टिकट देने की बात हों या कोई अहम जिम्मेदारी सौंपने की, वंशवाद हमेशा से हावी रहा है। फिलहाल प्रदेश का मौसम विधानसभा चुनावों से राजनीतिनुमा हो रखा है।

राजस्थान की राजनीति में तरह-तरह के स्वाद के लिए पहचाना जाने वाला बीकानेर क्षेत्र राजनीतिक सूरमाओं का भी मैदान रहा है। यहां की कोलायत विधानसभा सीट से कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी रहे हैं। बीजेपी ने इस बार कोलायत सीट से भाटी की बहू पूनम कंवर पर भरोसा जताया है। ऐसे में एक नजर डालना लाजमी है कि पूनम कंवर ने कितने राजनीतिक पैर पसार रखे हैं?

ससुर की राजनीतिक बिसात का मिला फायदा-

कोलायत विधानसभा सीट से साल 1980 से दमदार नेता देवीसिंह भाटी ने एकछत्र राज किया है और लगातार वो किसी ना किसी तरह यहां से चुनाव जीत जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में भाटी को पहली बार हार मिली जिसके बाद राजनीति से संन्यास ले लिया।

ऐसे में खुद ना सही तो बहू को टिकट दिलवा लाए। देवीसिंह भाटी के दोनों बेटों की कार दुघर्टना में मौत हो गई थी। पूनम कंवर पूर्व सांसद स्व.महेन्द्रसिंह भाटी की पत्नी  हैं। बीकानेर के ही रहने वाले डा. जंतरपालसिंह के घर जन्म हुआ और बीएससी तक पढ़ाई की है।

कभी नहीं निकली घर से आज घूंघट में मांग रही है वोट-

पूनम कंवर का राजनीतिक कॅरियर अभी शुरू भी नहीं हुआ है लेकिन उनके खानदान में राजनीति सालों से हैं। पूनम कंवर हमेशा से एक आदर्श बहू बनकर घर में रही है। टिकट मिलने से पहले कोई जानता भी नहीं था कि पूनम कंवर कौन है, किसकी बहू है? लेकिन अब मौका दिया है तो घूंघट में जनता के बीच जाकर वोट मांग रही है।

कद्दावर नेताओं के आगे झुक जाता है संगठन-

राजस्थान चुनावों के लिए अभी तक जारी बीजेपी और कांग्रेस की लिस्टों से यह साफ जाहिर होता है कि सत्ता में आने की लालसा किसी भी हद तक ले जा सकती है। पार्टियां जीतने के लिए किसी को भी टिकट देने में संकोच नहीं करती है और घुटने टेक देती है।

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