लोकसभा चुनाव: बीजेपी की पहली लिस्ट जारी, अपराधियों का बोलबाला!

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भारत में राजनीति और अपराध इतने अटूट हैं कि बिना किसी क्रिमिनल रिकॉर्ड का नेता अपने आप में एक अलग चीज होती है। अब जब लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है तो टिकटों का बंटवारा भी इनसे प्रभावित होता ही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को 184 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। 184 दावेदारों में से 35 यानि 19% लोगों ने 2014 में खुद के खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की थी।

आपराधिक रिकॉर्ड वाले ये 35 बीजेपी उम्मीदवार उन 78 उम्मीदवारों में भी शामिल हैं जिन्हें इस लोकसभा के दौरान भी फिर से नामांकित किया गया है। अन्य 106 उम्मीदवारों का विश्लेषण नहीं किया जा सका है क्योंकि उन्होंने अभी तक अपना नामांकन पत्र स्व-शपथ पत्र के साथ दाखिल नहीं किया है। इसी पत्र से पता चलता है कि किसी उम्मीदवार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड था या नहीं।

hansraj-gangaram-ahir
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सर्वे के अनुसार जिस उम्मीदवार पर 2014 तक सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे वह महाराष्ट्र के चंद्रपुर सीट से हंसराज गंगाराम अहीर था। उनके खिलाफ पिछले लोकसभा चुनाव तक कुल 11 आपराधिक मामले दर्ज थे। अहीर 16 वीं लोकसभा के सदस्य हैं और वर्तमान में MoS होम अफेयर्स के रूप में कार्य करते हैं।

अहिर के बाद ओडिशा के बालासोर से प्रताप सारंगी है। सारंगी के खिलाफ दस आपराधिक मामले दर्ज थे। दिलचस्प बात यह है कि आपराधिक आरोपों के साथ अन्य भाजपा उम्मीदवारों में, सड़क परिवहन और राजमार्ग, नौवहन और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प, नितिन गडकरी भी सूची में हैं। 2104 तक गडकरी के खिलाफ पांच आपराधिक मामले दर्ज थे। साक्षी महाराज का नाम भी इस सूची में है। उनके खिलाफ भी 2014 तक इतने ही अपराधिक मामले दर्ज थे।

भाजपा की पहली सूची में 18 महिला उम्मीदवार भी हैं जो चुनाव मैदान में होंगी। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भगवा पार्टी आगामी दिनों में उम्मीदवारों की एक और सूची जारी करेगी।

2014 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 543 विजेताओं में से 542 के स्व-शपथ पत्रों का विश्लेषण किया इस जांच में पाया कि भाजपा के 282 विजेता नेताओं में से 98 उम्मीदवारों (35%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं कांग्रेस के कुल 44 उम्मीदवारों में से आठ आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे थे।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार के जीतने की संभवना नोरमल केंडिडेट के बजाय दुगनी थी। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार की जीत की संभावना 13% थी, जबकि बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार की संभावना 5% थे।

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