चुनावों के बीच नेताओं का बुरा चेहरा

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भारत में चुनावों के माहौल में कई तरह की चीजें सामने आती हैं। राजनेता अक्सर अपनी भाषा और तर्क पर अपना संयम खोते दिखाई देते हैं। जिनमें कुछ मजाक बन कर रहता है और कुछ अपनी टिप्पणियों के साथ विवाद पैदा करते हैं।

पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनावों के दौरान ऐसा देखने को मिला।

महिला मुख्यमंत्री की बॉडी शेमिंग करना, विपक्ष महिला नेता को विधवा कहकर उसका मजाक बनाना, बाल विवाह को प्रोत्साहन करना, हनुमान की जाति बताना जैसे कई बयान चुनावों के दौरान उछले।

शरद यादव, जिन्हें जनता दल (यूनाइटेड) से हटा दिया गया था और अब उनकी खुद की पार्टी है। विवादों में उनका नाम नया नहीं है। राजस्थान में एक सार्वजनिक रैली में शरद यादव ने कहा कि वसुंधरा राजे बहत मोटी हो गई हैं। बीजेपी को उनसे इतना काम नहीं करवाना चाहिए।

नरेन्द्र मोदी भी इस रेस में पीछे नहीं रहे। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर को ऐसा ही किया जब उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का विधावा के रूप में मजाक उड़ाया। चुनाव रैली में मोदी ने सोनिया गांधी पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस की वो कौन सी विधावा थी जिसके खाते में ये सारा पैसा जाता था।

कुछ दिन पहले, कांग्रेस नेता राज बब्बर ने प्रधानमंत्री की मां का मज़ाक उड़ाया और कहा कि देश में पेट्रोल की कीमत जल्द ही पीएम की मां की उम्र से आगे निकल जाएगी।

2 दिसंबर को राजस्थान के सोजत विधानसभा सीट की भाजपा उम्मीदवार शोभा चौहान ने अपने मतदाताओं से वादा किया कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि यदि वे सत्ता में आती है तो कोई भी पुलिसकर्मी बाल विवाह में हस्तक्षेप नहीं करेगा। ये वीडियो काफी वायरल भी हुआ।

यदि चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है तो धर्म और जाति की जुगलबंदी भारत में चुनाव की आत्मा है। फिर नेता कैसे इस पर राजनीति से दूर रह सकते हैं। योगी ने भी यही किया। धर्म और जाति की राजनीति को हवा देते हुए यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अलवर में एक रैली को संबोधित करते हुए घोषणा की कि भगवान हनुमान एक दलित थे और वंचित थे।

माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम के अनुयायियों को भाजपा के लिए वोट देना चाहिए और दानव राजा रावण के लोगों को कांग्रेस के लिए वोट देना चाहिए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने योगी की इस टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

देवताओं और धर्म के बारे में बात करना बीजेपी का विशेषाधिकार नहीं है। इन चुनावों में कांग्रेस भी इससे पीछे नहीं रही। अपने प्रतिद्वंद्वी [बीजेपी] से मेल खाने के लिए कांग्रेस के सीपी जोशी ने इस कड़ी में विवादित बयान दिया।

उनका ज्ञान यह था कि ब्राह्मणों को छोड़कर कोई भी हिंदू धर्म को नहीं जानता है और ना ही समझ सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी ने आगे कहा कि यदि कोई हिंदू धर्म के बारे में जानता है, तो यह ब्राह्मण ही है।

हैदराबाद में एक रैली में योगी ने घोषणा की कि अगर तेलंगाना में भाजपा की सरकार आई तो ओवैसी भाइयों को हैदराबाद से “भाग जाना” होगा जैसे हैदराबाद के निजाम को आजादी के बाद भागना पड़ा था।

जूनियर ओवैसी अकबरुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी को खाने पर आमंत्रित किया और कहा कि उन्हें खुले दिल से बीफ परोसा जाएगा।

क्या ये सब भूल थीं या एक चुनावी रणनीति के तहत ऐसा किया जाता है। खैर चुनावों को एक अलग हवा जरूर इन सबसे मिल जाती है। जाति और धर्म को चुनावों में अक्सर नेता ले ही आते हैं।

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