बर्थडे: बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के लिए जाने जाते हैं नाना पाटेकर

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Nana-Patekar-Biography

हिंदी सिनेमा में कई ऐसे कलाकार हैं जो अपनी दमदार एक्टिंग के लिए तो जानें ही जाते हैं, मगर फैंस के बीच ये अपनी डायलॉग डिलिवरी को लेकर ज्यादा लोकप्रिय हैं। इन्हीं में से एक हैं अभिनेता नाना पाटेकर। 1 जनवरी को वह अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म वर्ष 1951 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले स्थित मुरुड-जंजीरा में हुआ था। उनका असल नाम विश्वनाथ पाटेकर हैं। वह सर जे.जे. इंस्टीट्यूट ऑफ़ एप्लाइड आर्ट, मुंबई के एलुमिनाई हैं।अभिनेता नाना पाटेकर के जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए उनके कुछ बेहतरीन डायलॉग्स…

नाना पाटेकर ये डायलॉग्स आज भी हैं फेमस

“एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है”-(यशवंत,1997)

“कुत्ते की तरह जीने की आदत पड़ी है सबको”- (क्रांतिवीर,1994)

“अपना तो उसूल है…पहले लात, फिर बात उसके बाद मुलाकात”-(तिरंगा,1992)

“आ गये मेरी मौत का तमाशा देखने”- (क्रांतिवीर,1994)

“साले अपने खुद के देश में एक सुई नहीं बना सकते,और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हो”-(क्रांतिवीर,1994)

“ये मुसलमान का खून ये हिन्दू का खून…बता इसमें मुसलमान का कौनसा और हिन्दू का कौनसा बता..”-(क्रांतिवीर-1994)

“भगवान का दिया हुआ सबकुछ है, दौलत है, शौहरत है, इज्जत है”-(वेलकम बैक)

“ऊपर वाला भी ऊपर से देखता होगा तो उसे शर्म आती होगी …सोचता होगा मैने सबसे ख़ूबसूरत चीज बनाई थी,इंसान…नीचे देखा तो सब कीड़े बन गए…कीड़े”-(क्रांतिवीर-1994)

“हम भले ही ऊपर वाले को अलग अलग नाम से पुकारते हैं,लेकिंन हमारा धर्म एक हैं मजहब एक हैं…इंसानियत”-(क्रांतिवीर-1994)

“तुम्हारे नापाक कदम आगे मत बढाओ … तोड़कर तुम्हारे गले में पहना देंगे”-(क्रांतिवीर-1994)

“सच्चे पुलिस की या तो मौत होती हैं…या सस्पेंड किया जाता हैं…इस वर्दी ने मेरे हाथ बाँध रखे हैं ,वर्ना एक एक का गला काट देता मैं”- (तिरंगा -1992)

“ये तो लाल मिर्च हैं तीखी तीखी ..हाथ लगाओ तो हाथ जले…मुंह लगाओ तो मुंह जले…दिल लगाओ तो दिल जले”-(तिरंगा -1992)

“मराठा मरता है या मारता है”-(तिरंगा -1992)

“तुझे ऐसी मौत मारूंगा… कि तेरी पापी आत्मा अगले सात जन्म तक, किसी दुसरे शरीर में घुसने से पहले काँप उठेगी”-(तिरंगा -1992)

“सीनियर ऑफिसर्स ना मौसम की तरह होते है, बदलते रहते हैं”…(अब तक छप्पन)

“कौनसा कानून ,कैसा कानून…ये कानून तो चंद मुजरिमों की रखैल बना बैठा हैं”-(तिरंगा -1992)

“पन्द्रह सौ की नौकरी करने वाला…एक दिन तुझे डेढ़ सौ का कफन पहनायेगा”- (तिरंगा -1992)

“गिरो सालो गिरो,लेकिन गिरो तो उस झरने की तरह…जो पर्वत की ऊंचाई से गिरकर भी अपनी सुंदरता खोने नहीं देता…जमीन की तह से मिलके भी अपने अस्तित्व को नष्ट नहीं होने देता”-(यशवंत -1996)

“सौ में से अस्सी बेईमान…फिर भी मेरा देश महान”-(यशवंत -1996)

“जान मत माँगना…इसकी बाजार में कोई कीमत नहीं”-(गुलाम -ए मुस्तफा 1997)

“दुनिया में सबसे ज्यादा रिस्पेक्ट करता हूं मैं अपनी, आरती उतारता हूं रोज अपनी”-(ब्लफमास्टर)

“बेहतर हैं तू अपना इरादा बदल दें…नहीं तो मैं तेरा नक्शा बदल दूंगा” -(गुलाम -ए मुस्तफा  -1997)

“एक मन्दिर का दीया भी तेरे को तवायफ के कोठे की लाल बत्ती लगता हैं”-(गुलाम -ए मुस्तफा -1997)

“मैं तो लावारिस था,लेकिन मेरे मरने के बाद मेरी लाश लावारिस नहीं होगी-(गुलाम -ए मुस्तफा -1997)

चलो रो लो …क्यूँ कि आज के बाद इस घर में कोई रोयेगा नहीं”- (गुलाम -ए मुस्तफा -1997)

“धंधे में कोई किसी का भाई नहीं ,कोई किसी का बेटा नही”- (परिन्दा -1989)

“ये दुःख नाम की बीमारी का इलाज किसी डॉक्टर के पास भी नहीं हैं …इसका इलाज खुद ढूंढना पड़ता हैं ..दुःख को भूलना पड़ता हैं”-(परिन्दा -1989)

“दुनिया में दो ही चीजों की कीमत है एक जमीनों की दूसरी कमीनों की”-(वेलकम बैक)

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