ऐसे बदला जाता है किसी शहर का नाम, कई सरकारी विभागों से गुजरती है प्रक्रिया

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देश में इन दिनों गांव या शहरों के नाम बदलने की हवा सी चली हुई है। हर एक-दो हफ्ते बाद किसी ना किसी जगह का नाम बदल दिया जाता है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक बीते एक साल में करीब 25 शहरों और गांवों के नाम बदले जा चुके हैं।

अभी सरकार के पास नाम बदलने के लिए आने वाले आवेदनों की फेहरिस्त काफी लंबी है जिसमें पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला सबसे ऊपर है। इसके अलावा हाल ही में इलाहाबाद और फैजाबाद के बदले हुए नाम प्रयागराज और अयोध्या काफी चर्चा में रहे हैं।

किनको मिले नए नाम-

आपको बता दें कि हाल ही में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया गया है जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आवेदन किया गया था। वहीं इससे पहले सरकार ने आंध्र प्रदेश में ईस्ट गोदावरी जिले के राजामुंदरी को राजामहेंद्रवरम, उड़ीसा में भद्रक जिले के आउटर व्हीलर को ए पी जे अब्दुल कलाम आइलैंड, केरल में मलप्पुरा जिले के एरिक्कोड को एरिकोड, हरियाणा में जींद जिले के पिंडारी को पांडु-पिंडारा नाम करने की मंजूरी दी है।

वहीं महाराष्ट्र के सांगली जिले में लांडगेवाड़ी को नरसिंहगांव, हरियाणा में रोहतक जिले के गढ़ी सांपला को सर छोटू राम नगर, राजस्थान में नागौर जिले के खाटू कलां गांव को बड़ी खाटू, मध्य प्रदेश में पन्ना जिले के महगवां छक्का को महगवां सरकार और महगवां तिलिया को महगवां घाट नाम दिया गया है।

कैसे बदला जाता है नाम-

किसी भी शहर या गांव का नाम बदलने की प्रक्रिया आसान नहीं होती है। किसी भी जगह का नाम बदलने की प्रक्रिया काफी लंबी है और ये कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से होकर गुजरती है।

किसी भी जगह का नाम बदलने की प्रक्रिया का आखिरी फैसला गृह मंत्रालय लेता है और वो इस प्रस्ताव को मंजूरी संबंधित एजेंसियों के साथ सलाह करके देता है। इसके बाद उस जगह के रेल मंत्रालय, डाक विभाग और सर्वे ऑफ इंडिया से अनुमति ली जाती है। इसके बाद मंत्रालय नए नाम का रिकॉर्ड चेक करता है।

राज्य और शहर दोनों की है अलग प्रक्रिया-

आपको बता दें कि किसी भी राज्य का नाम बदलना हो तो उसके लिए संसद के जरिए बहुमत से संविधान में बदलाव करना पड़ता है। वहीं किसी गांव या शहर के नाम में अगर बदलाव करना हों तो उसके लिए एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से काम चल सकता है।

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