अगर 29 लाख सरकारी नौकरियां खाली तो 10% सामान्य वर्ग आरक्षण है चुनावी जुमला ?

Views : 2816  |  0 minutes read

देश के सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर सरकार ने चुनाव से पहले 10 प्रतिशत के आरक्षण संशोधन बिल को संसद में मंजूरी दिलवा दी है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए यह 10 प्रतिशत आरक्षण एक चुनावी जुमला है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि केंद्र और राज्य सरकारें सही मायनों में नौकरी देने की कितनी पेशकश करते हैं ?

वर्तमान में, केंद्र और राज्य स्तर पर पहले से ही 29 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां खाली हैं और कई पद सालों से खाली पड़े हैं।

इनमें से 13 लाख से अधिक नौकरियां अकेले शिक्षा क्षेत्र में हैं, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा में 9 लाख और सर्व शिक्षा अभियान के तहत 4.17 लाख पद हैं। पुलिस बलों में 4 लाख से अधिक नौकरियां खाली हैं तो वहीं मंत्रालयों और सरकारी विभागों में 4.12 लाख और रेलवे में 2.53 लाख पद खाली पड़े हैं।

अगर सरकार इन 29 लाख खालों पदों को भरने के लिए कुछ कदम उठाती है तो सालाना 1.27 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। ऐसा करने पर आखिरकार, यह सेंट्रल के वेतन बजट को 76 प्रतिशत तक बढ़ा देगा या राजकोषीय घाटे को 21 प्रतिशत तक बढ़ा देगा।

7वें वेतन आयोग द्वारा सुझाए गए फिटमेंट फॉर्मूले के अनुसार, एंट्री-लेवल सरकारी कर्मचारी के लिए न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये हर महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया गया है। सरकार के लिए, यह हर महीने 36,000 रुपये की लागत बराबर पड़ता है। 29 लाख से अधिक नए कर्मचारियों के लिए सलाना वेतन बिल 1.27 लाख करोड़ रुपये का होगा।

अब ऐसे में 10 फीसदी आरक्षण बिल लाने की जल्दबाजी पर कई सवालिया निशान खड़े होते हैं।

उदाहरण के लिए, केंद्र ने अप्रैल-नवंबर के बीच में अपने वित्तीय घाटे को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है। 2018 में, पेंशन पेआउट 1.68 लाख करोड़ रुपये के वेतन बजट से 10,000 करोड़ रुपये तक अधिक हो गया।

हालांकि, अब भी अगर सरकार इन रिक्तियों को भरने के लिए आगे बढ़ती है या नहीं लेकिन जो 1.27 लाख करोड़ है उसको यहां इन कामों में खर्च किया जा सकता था-

– मोदीकेयर या आयुष्मान भारत योजना के लिए 10 सालों के लिए 12,000 करोड़ रुपये का खर्च।

– बजट 2018 में माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन के लिए 265 करोड़ रुपये का आवंटन, अब ऐसे में सरकार अपनी बचत से इस योजना के लिए 482 सालों तक फंड दे सकती थी।

– राष्ट्रीय पोषण मिशन जिसका उद्देश्य भारत में पोषण की समस्या को हल करना है, इस योजना को 42 सालों तक फंड दिया जा सकता था।

– अगर सब सही रहता तो इस राशि से 79 हथियारबंद राफेल विमानों को खरीदा जा सकता था यदि प्रति विमान 1,600 करोड़ रुपये का भी खर्चा आता हो।

COMMENT