शिव सेना संस्थापक और महाराष्ट्र की सियासत में अहम स्थान रखने वाले बाल ठाकरे की बायोपिक फ़िल्म ठाकरे सेंसर बोर्ड के निशाने पर आ गयी है। बोर्ड ने फ़िल्म के तीन संवादों पर एतराज़ जताया है। लेकिन फ़िल्म के लेखक-निर्माता और शिव सेना सांसद संजय राउत ने बदलाव करने के साफ़ इंकार कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन तीन में से दो संवाद दक्षिण भारतीयों के संबंध में कहे गये हैं, जबकि एक अयोध्या के विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद) से संबंधित है। संजय राउत सेंसर बोर्ड से टकराने के मूड में हैं और उन्होंने ये संवाद हटाने से इंकार कर दिया है। संजय राउत ने साफ़ कहा है कि बालासाहेब ठाकरे का सामाजिक और राजनीतिक जीवन 50 साल से अधिक रहा है। वो जैसे थे, हम वैसा ही दिखा रहे हैं। इसलिए एतराज़ की कोई वजह नहीं है।
Sanjay Raut, Shiv Sena on Central Board of Film Certification raising objections on 'Thackeray' movie: There are cuts but trailer will be released.Balasaheb Thackeray spent more than 50 years in social & political life, we're depicting him as it is, there's no need for objections pic.twitter.com/XiHpXArM4s
— ANI (@ANI) December 26, 2018
फ़िल्म 23 जनवरी 2019 को बाल ठाकरे के 93वें जन्म दिवस पर रिलीज़ के लिए निर्धारित है। फ़िल्म में नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी बाला साहेब का किरदार निभा रहे हैं। 26 दिसम्बर को फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज़ कर दिया गया है। बाल ठाकरे के रूप में नवाज़ का लुक पहले ही बाहर आ चुका है, जिसे काफ़ी पसंद किया गया है। ठाकरे को अभिजीत पानसे ने निर्देशित किया है। फ़िल्म में अमृता राव मीनाताई ठाकरे के किरदार में नज़र आएंगी।
हिंदुत्व की राजनीति के पुरोधा रहे बाल ठाकरे के किरदार में नवाज़ुद्दीन का चयन चौंकाता है, लेकिन संजय राउत इसे घोर व्यवसायिक फ़ैसला मानते हैं, क्योंकि इस फ़िल्म को व्यवसायिक नज़रिए से बनाया जा रहा है, राजनीतिक नहीं। उनके मुताबिक़, नवाज़ जैसा बेहतरीन कलाकार ही बाला साहेब के किरदार के साथ न्याय कर सकता है। इससे पहले नंदिता दास की मंटो में नवाज़ उर्दू साहित्य के विवादित लेखक सआदत हसन मंटो का किरदार निभा चुके हैं।