
दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न संस्कृतियों के अनेकों रंग देखने को मिलते हैं। यहां बारहों महीनें तीज-त्योहारों की बहार लगी रहती है। फिलहाल देशभर में नवरात्रि की धूम मची हुई है। खासकर बंगाल में। जिस तरह से मुंबई-महाराष्ट्र का गणेश उत्सव दुनियाभर में विख्यात है उसी तरह बंगाल की दुर्गा पूजा भी देश दुनिया में काफी मशहूर है।
बंगाल में दुर्गा पूजा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां की दुर्गा पूजा इतनी भव्य होती है कि दुनिया का ध्यान खींचने में कामयाब रहती है। बंगाल का कोलकाता शहर जिसे खुशी का शहर भी कहा जाता है अपनी अनोखी और अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी मगर यहां दुर्गा पूजा दो तरह से की जाती है। कोलकाता में दुर्गा पूजा दो तरह से मनाई जाती है। जिसे पारा और बारिर कहा जाता है। पूजा की इन दोनों तरीकों में ना सिर्फ रस्में बल्कि सबकुछ अलग होता है। तो चलिए आपको बताते हैं दुर्गा पूजा की इन दो अनूठी विधाओं के बारे में।
पारा दुर्गा पूजा
पारा दुर्गा पूजा बारिर पूजा से बिल्कुल अलग होती है। पारा दुर्गा पूजा यानि स्थानीय पूजा होती है जो थीम पर आधारित, रोशनी, डिजाइन्स, विचारों जो पंडालों, कम्यूनिटी हॉल्स में संपन्न की जाती है। जिसे शानदार डिजाइन, बेहतरीन थीम, और विचारों का एक भव्य रुप होती है।
बारिर दुर्गा पूजा
वहीं इसके इतर बारिर पूजा होती है जो घर में की जाती है। यह पूजा उत्तरी और दक्षिण कोलकाता में की जाती है। स्थानीय मान्यता के मुताबिक इस तरह की पूजा का एक घरेलू प्रभाव होता है जो घर वापसी की भावना के साथ लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करती है।