सेहत

मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं, 80 फीसदी इलाज दवाओं से संभव

हर वर्ष 11 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके। बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। मिर्गी मस्तिष्क से संबंधित एक रोग है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। इनकी अवधि अधिक नहीं होती।

चिकित्सा विज्ञान में मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहते हैं। इसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। इसमें मरीज को झटके-से महसूस होते हैं, वह जैसी भी स्थिति में वहीं जमीन पर गिर पड़ता है।

मिर्गी के प्रमुख कारण

  • दिमागी बुखार आना
  • शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना
  • सिर पर चोट लगना
  • बढ़ती उम्र

मिर्गी के लक्षण

  • अचानक जमीन पर गिर जाना
  • दांत भिंच जाते हैं
  • मुंह से झाग आना
  • बात करते समय दिमाग ब्लैंक हो जाना
  • मांसपेशियों का अचानक फड़कना
  • तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना
  • अचानक बेहोश हो जाना
  • हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके से लगना
  • अचानक से मांसपेशियों पर नियंत्रण खो देना

ऐसे रखें सावधानी
चिकित्सकों का कहना है कि अगर किसी को मिर्गी आती है तो कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे –

  • रोगी के मुंह में कुछ न डालें।
  • मरीज के कपड़े, खासतौर पर गर्दन के आसपास वाले ढीले कर दें ताकि मरीज को सांस लेने में तकलीफ न हो।
  • उसे नीचे लेटा दें या उसकी शारीरिक गतिविधियों को सीमित करने का प्रयास करें।
  • भिंचे हुए दांतों को बलपूर्वक खोलने का प्रयास करें।
  • नाक के पास जूते, चप्पल या प्याज न लाएं।
  • साथ ही उसके आसपास भारी वस्तुएं नहीं होनी चाहिए।
  • जो लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी स्थिति छिपाना नहीं चाहिए।

80 फीसदी मरीज दवाओं से हो रहे ठीक

जन्म के समय चोट लगने, सड़क दुर्घटना या किसी तरह के संक्रमण के कारण भी दौरे पड़ने की परेशानी हो सकती है। चूंकि चिकित्सीय क्षेत्र में नई तकनीकें आने से अब इसका उपचार आसान हो गया है।
करीब 80 फीसदी मरीज दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं। बहुत कम मरीजों को सर्जरी या अन्य उपचार की जरूरत पड़ती है।

भ्रांतियों से बचे
भारत में मिर्गी से करीब सवा करोड़ लोग पीड़ित हैं। वहीं मिर्गी को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां फैली होने के कारण मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। विशेषज्ञों की मानें तो इन्हीं भ्रांतियों की वजह से मिर्गी का मरीज मौत का शिकार हो जाता है। अगर वह इन भ्रांतियों पर ध्यान न दे तो वह समय पर उपचार ले सकता है।
मिर्गी से पीड़ित मरीजों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। गलत जानकारियों के कारण सैकड़ों मरीज कष्ट भोग रहे हैं। जागरूकता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है।

Rakesh Singh

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

1 month ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

1 month ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago