प्रशांत किशोरः हेल्थ से इलेक्शन तक

राजनीति के वर्तमान दौर में प्रशांत किशोर एक जाना पहचाना नाम हैं। सक्रिय राजनीति में शामिल हो चुके प्रशांत को जदयू का उपाध्यक्ष बना दिया गया है। इसके बाद से उनका कद और बढ़ गया है और वे चुनावों में भी हाथ आजमा सकते हैं। पहले हेल्थ सेक्टर से जुड़े प्रशांत बाद में चुनावी रणनीतिकार बने और अब सक्रिय राजनीति में आ गए हैं। प्रशांत के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।

यूं हुर्इ शुरुआत

सबसे पहले साल 2011 में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आने से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। नरेंद्र मोदी उस वक्त गुजरात के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। तब उन्होंने प्रशांत किशोर को कुपोषण पर एक पेपर लिखने के लिए संपर्क किया। उस वक्त तक प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञ थे।

2012 का गुजरात चुनाव

प्रशांत ने 2012 के गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के लिए रणनीति तैयार की। इसमें वे कामयाब भी हुए और मोदी को फिर से गुजरात का ताज मिला। इस जीत के बाद प्रशांत और मोदी में मित्रता बढ़ गई।

2014 का चुनाव

देशभर में यूपीए की सरकार के खिलाफ गुस्सा था। लोग बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार की ख़बरों से सभी परेशान थे। इस बात को प्रशांत ने कैश किया और मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार बनाकर पेश किया गया। बेहतर रणनीति का ही असर था कि पूरे देश में मोदी लहर दौड़ गई। प्रशांत की भूमिका अब सबके सामने आ गई और वे सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में पहचाने जाने लगे।

2015 बिहार चुनाव

जीत की गारंटी बन चुके प्रशांत ने अगला कदम बिहार की ओर बढ़ाया। प्रशांत के पिता बिहार से हैं और उनकी माता उत्तर प्रदेश से हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत ने नीतीश कुमार को फिर से सत्तासीन करने की रणनीति तैयार की। नीतेश को फिर से सीएम की कुर्सी मिली। यहीं से प्रशांत का जदयू के साथ राजनैतिक सफर शुरू हुआ।

2017 का पंजाब विधानसभा चुनाव

नीतिश को कुर्सी दिलाने के बाद पंजाब में सीएम बनने का सपना देख रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रशांत से संपर्क किया। प्रशांत ने अमरिंदर को कई महत्वपूर्ण सलाह दी और कामयाबी रणनीति बनाकर ​दी। इसका नतीजा था कि अमरिंदर को जीत हासिल हुई। प्रशांत के सफल कार्यों में एक और काम जुड़ गया।

पंजाब के बाद पहुंचे यूपी और मिली हार

चुनावों में प्रशांत के रणनीतिक योगदान के बाद जीत का फल उगते देख लगातार हार से परेशान और यूपी में जीत का स्वाद चखने को बेताब कांग्रेस ने भी उनके जरिए सत्ता तक पहुंचने की सोची। लेकिन इस बार दोनों के लिए बुरी ख़बर आई। न कांग्रेस को जीत मिली और प्रशांत के जीत के ट्रैक रिकॉर्ड में हार दर्ज हो गई। हार के साथ ही प्रशांत ने शायद राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता का सफर तय करने की सोची।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

1 month ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

1 month ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago