ये हुआ था

शायर क़मर जलालाबादी महज 7 साल की उम्र से लिखने लगे थे शायरियां

हिंदी फिल्मों के इतिहास में कई ऐसे गीतकार हुए जिनके गीतों से कितने ही आशिकों की मोहब्बत मुकम्मल हुई तो कुछ की आंखें नम होने का कारण भी इनके लिखे गीत बने, कुछ ऐसे ही गीतकारों में शुमार थे कमर जलालाबादी, जी हां, कमर ने हिंदी फिल्मों के गुलिस्तां को अपने गीतों से कई सालों तक रोशन किया। आज कमर साहब की पुण्यतिथि पर आइए चलते हैं इस रचनाकार दुनिया के कुछ गलियारों में।

अमृतसर के पास जलालाबाद में पैदा हुए क़मर

पंजाब के अमृतसर के पास जलालाबाद में पैदा हुए क़मर जलालाबादी का असली नाम ओम प्रकाश भंडारी था जिनका जन्म 9 मार्च, 1917 को हुआ था। कमर बचपन से ही बातें शायराना अंदाज में किया करते थे हालांकि उनके घर में कोई कविताई या शायरी वाला माहौल नहीं था। अपने अंदाज को इस कदर निखारा कि महज 7 साल की उम्र में ही वो उर्दू में शायरियां औऱ कविताएं लिखने लगे।

“कुछ तो है बात जो आती है क़ज़ा रुक रुक के

ज़िंदगी क़र्ज़ है क़िस्तों में अदा होती है”

अमृतसर से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आजीविका के लिए कमर साहब ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता की। लाहौर के अख़बार ‘डेली मिलाप’, ‘डेली प्रताप’, ‘निराला’ जैसे अखबारों में काफी समय तक काम किया। पत्रकारिता करना उनके लिए बस आजीविका चलाने भर था उनका मन तो हमेशा से ही फ़िल्मों में गीत लिखने का था।

 “कमर” उपनाम मिलने के पीछे है रोचक किस्सा

क़मर जलालाबादी शुरू से ही सपने देखते थे बस उनके सपनों को पंख लगने भर की देर थी इसी बीच एक दिन उस समय के सबसे बड़े घुमक्कड़ कवि अमर चाँद से वो मिले। अमर जब पहली बार प्रकाश भंडारी से मिले तो उनके व्यक्तित्व ने उनको खासा प्रभावित किया। आगे चलकर अमर ने ही प्रकाश भंडारी को ‘कमर’ उपनाम दिया। ‘कमर’ का मतलब होता है ‘चाँद’ और ‘जलालाबादी’ का मतलब होता है जन्मस्थान का नाम।

156 फिल्मों में लिखे गीत

फिल्मों में लिखने की उनकी चाहत आखिरकार उन्हें 1940 में पुणे ले ही आई। कमर साहब ने ‘जमींदार’ जो कि उनकी पहली फ़िल्म थी जिसमें उनका लिखा गीत हर किसी को बेहद पसंद आया।

 

दुनिया में गरीबों को आराम नहीं मिलता

रोते हैं तो हंसने का पैगाम नहीं मिलता

ग़ुरबत की कहानी है, आँखों की ज़ुबानी है

आवाज़ कराते हैं, अंजाम नहीं मिलता

दुनिया में ग़रीबों को आराम नहीं मिलता

सौ जाम गरीबी किस्मत ने पिलाए हैं

जिस ज़ाम में राहत है वो जाम नहीं मिलता

दुनिया में ग़रीबों को आराम नहीं मिलता।

अपने पहले गीत के बाद क़मर बॉम्बे (अब मुंबई) आकर रहने लग गए और बतौर गीतकार नए सफर की शुरूआत की। कमर साहब ने 4 दशकों तक 156 फ़िल्मों में काम किया और लगभग 700 गीत लिखे। आगे चलकर वो ‘फ़िल्म राइटर एसोसिएशन’ के संस्थापक सदस्यों में से भी एक रहे। क़मर जलालाबादी इस दुनिया से रूखसत भले ही हो गए हों लेकिन उनके गीत जहां भी बजते हैं उनका नाम हर कोई पूरी शिद्दत के साथ याद करता है।

Read: प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर का ‘विहान’ पत्रिका के संपादन से शुरू हुआ था करियर

sweta pachori

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

1 month ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

1 month ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago