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चमकी से सिर्फ बच्चे ही नहीं लीची भी परेशान, व्यापार पर पड़ रहा असर

बिहार राज्य में चमकी बुखार यानि एक्यूट इनसेफिलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से अब तक मरने वाले बच्चों का आंकड़ा 140 तक पहुंच गया है। इस आंकड़े में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है। बिहार के डॉक्टरों और सरकार के मंत्रियों तक का कहना है कि बच्चों में इस बीमारी का प्रमुख कारण लीची खान को भी माना है। ज्यों-ज्यों लोगों को लीची से होने वाली इस बीमारी का पता चला, वैसे-वैसे लोगों ने लीची खरीदना तक बंद कर दिया।

लीची को बिहार की शान और फलों की रानी के तौर पर जाना जाता है। इस बीमारी के कारण ‘लीची’ के कारोबार पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। अब लोग इस फल को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं और खरीदने से बच रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में देशभर में लीची की बिक्री में करीब 30 फीसदी तक की गिरावट आई है। वहीं बिहार में लीची बिक्री करीब 60 फीसदी तक कम हो गया है। लीची के उत्पादन में बिहार में प्रमुख स्थान रखता है, तो आइए जानते हैं देशभर में फैले लीची के कारोबार के बारे में—

बिहार करता है सबसे अधिक लीची का उत्‍पादन

बिहार लीची के उत्पादन में देश में सर्वोच्च स्थान रखता है और कुल उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत तक हिस्सेदारी है। कृषि मंत्रालय के 2017 के आंकड़े के मुताबिक बिहार में 32 हजार हेक्‍टेयर जमीन में 3 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्‍पादन हुआ।

बिहार में लीची उत्पादन में प्रमुख स्थान मुजफ्फरपुर का है। इसके अलावा समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, बेगूसराय में भी लीची का उत्पादन किया जाता है। बिहार सरकार की रिपोर्ट के अनुसार यहां के 50 हजार से ज्यादा किसान परिवार सीधे तौर पर अपनी आजीविका के लिए करीब दो महीने लीची की फसल पर निर्भर रहते हैं। बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड राज्‍य में लीची का उत्‍पादन होता है।

लीची के प्रकार

 

 

बिहार में मुख्य रूप से तीन प्रकार की लीचियों का उत्पादन किया जाता है। जिनमें प्रमुख हैं- शाही, बेदाना और बंबई। पिछले वर्ष ही शाही लीची को जीआई टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) मिला है। बता दें कि किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को खास पहचान देने के लिए जियोग्रॉफिल इंडीकेशन सर्टिफिकेशन दिया जाता है।

यह भी पढ़ें- क्या बिहार के मासूमों के लिए रसभरी लीची बन गई जहर ?

इन देशों को होता है लीची का निर्यात

डायरेक्टर जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (डीजीसीआईएस) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के करीब पंद्रह देशों को लीची निर्यात करता है, उनमें यूएई, नेपाल, ओमान, कतर, भूटान, कुवैत, सिंगापुर, नॉर्वे, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस शामिल हैं। वर्ष 2018-19 में 159.97 मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया गया, जिससे भारत को कुल 137.27 लाख रुपए की आय हुई। इस वर्ष भारत ने लीची का सबसे अधिक निर्यात नेपाल को 138.15 मीट्रिक टन किया है। 2017-18 में 108.24 मीट्रिक टन और 2016-17 में 124.02 मीट्रिक टन लीची 15 देशों में भेजे गए।

विश्व के प्रमुख लीची उत्‍पादक देश

लीची के प्रमुख उत्पादक देशों में चीन, अफ्रीका और वियतनाम सबसे आगे हैं। वर्ष 2017 में दुनियाभर में 3.3 मिलियन टन तक लीची के उत्‍पादन का हुआ, जो वर्ष 2016 के मुकाबले करीब 8 फीसदी कम रहा।

Rakesh Singh

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