ये हुआ था

सैम मानेकशॉ : वो जाबांज अफसर जिसने 1971 की जंग में पाकिस्तान को दिन में तारे दिखा दिए !

फौजियों के सबसे चहेते साहब जी, सादगी की जीती-जागती मिसाल, आंखों में दुश्मन के लिए खौलता खून, चेहरे पर एक दबंग छाप और ना जाने कितनी खूबियां थी इस शख्स में जिनका वर्णन सिर्फ इन कुछ शब्दों से कर पाना बहुत मुश्किल काम है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेद जी मानेकशॉ की जिन्हें सैम मानेकशॉ के नाम से भी जाना जाता था।

3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में पैदा हुए सैम मानेकशॉ सेना के एक ऐसे अधिकारी थे जिनके रिटायर होने से पहले ही उनकी वर्दी पर फाइव स्टार रैंक वाले तमगे लग गए थे।

अमृतसर से स्कूली शिक्षा खत्म कर नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में एडमिशन लिया जिसके बाद देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच से चुनकर भारतीय सेना पहुंचे।

फौजी के रूप में कॅरियर की शुरुआत करने वाले सैम मानेकशॉ फील्‍ड मार्शल तक पहुंचे। इस दौरान सैम ने सेना और देश सेवा में चार दशक गुजारे। दूसरे विश्व युद्ध को मिलाकर सैम ने 5 युद्धों में सेना के लिए अहम भूमिका निभाई।

स्वभाव में सादगी और मस्त मौला अंदाज

सैम मानेकशॉ को एक ऐसे अफसर के रूप में याद किया जाता है जो अपने फौजियों से बेहद प्यार करता था। वह फौजियों के लिए उनके साथ हर मौके पर खड़े रहते थे। इसके अलावा उनके काम करने के अंदाज का भी हर कोई दीवाना था। वो हर काम को ठंडे दिमाग से मस्त मौला अंदाज में किया करते थे।

सैम के कॅरियर की सबसे बड़ी उपलब्धि 1971 की जंग है जिसमें बांग्लादेश का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि इस जंग के लिए भारतीय फौज के आक्रमण का पूरा खाका सैम के नेतृत्व में ही तैयार हुआ था। सैम उस भारतीय सेना की टुकड़ी के अध्यक्ष थे जिसने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई थी जिसके बाद ही बांगलादेश का जन्म हुआ।

इंदिरा को कर दिया था साफ इनकार

1971 में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बांग्‍लादेश को पाकिस्‍तान के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए काफी चिंतित थी। जब इंदिरा ने पाकिस्तान पर हमले के बारे में सोचा तो सेना की कार्रवाई के लिए सैम से चर्चा की।

सैम ने इंदिरा गांधी को कहा कि आर्मी के जवानों को अभी कुछ समय ट्रेनिंग की जरूरत है ऐसे में अभी जंग का सही समय नहीं है जब सही समय होगा तब वो आपको सूचित कर देंगे।

एक तरह से देखें तो सैम ने देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को साफ मना कर दिया था जो उस समय किसी के लिए सोचना भी नामुमकिन था। सैम से यह सुनकर इंदिरा काफी नाराज हुई लेकिन उन्होंने सैम की बात पर सहमति भी जताई।

जून 1972 में सैम सेना से रिटायर हुए। देशप्रेम और सेना के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने के चलते उन्हें 1972 में पद्मविभूषण से नवाजा गया और 1 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

हाल में डायरेक्टर मेघना गुलजार ने सैम पर फिल्म बनाने की भी घोषणा की है जिसमें सैम का किरदार अभिनेता विकी कौशल निभाने जा रहे हैं। फिल्म अगले साल तक बड़े पर्दे पर आ सकती है।

sweta pachori

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