सेहत

पेट में बैक्टीरिया की कमी से हो सकता है डिप्रेशन

पेट में मौजूद बैक्टीरिया हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को कई मायनों में प्रभावित कर सकता है। हाल ही के एक अध्ययन से पेट के बैक्टीरिया और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक का पता चला है।

बेल्जियम में वीआईबी-केयू ल्यूवेन सेंटर फॉर माइक्रोबायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया जिसमें उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश में एक बड़े ग्रुप के स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा किए और जांच की कि पेट में मौजूद कौन से बैक्टीरिया डिप्रेशन भी पैदा कर सकते हैं। इस नए अध्ययन के रिजल्ट नेचर माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रिंट हुए हैं।

अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने पेट में मौजूद बैक्टीरिया का पता लगाया जो मेंटल हैल्थ से जुड़े हुए थे और यह भी निष्कर्ष निकाला है कि कई बैक्टीरिया न्यूरोएक्टिव नामक पदार्थ उत्पन्न कर सकते हैं जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने फ्लेमिश गुट फ्लोरा प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले 1,054 लोगों में डिप्रेशन के निदान के साथ फेकल माइक्रोबायोम डेटा का अध्ययन किया।

इस विश्लेषण के माध्यम से, टीम ने खुलासा किया कि दो प्रकार के बैक्टीरिया जो कि जनक कोप्रोकॉकस और डायलिस्टर से हैं डिप्रेशन का इलाज चल रहे लोगों में नहीं पाए गए। यह उन लोगों पर लागू होता है जिन्होंने एंटीडिप्रेसेंट दवा ली थी।

माइक्रोबायोम शोध में इन बैक्टीरिया और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध काफी कोन्ट्रोवर्सियल है। यह धारणा कि माइक्रोबियल मेटाबोलाइट्स हमारे मस्तिष्क के साथ इंटरएक्शन कर सकते हैं। इसका मतलब वे हमारे व्यवहार और इमोशन्स के साथ भी इंटरएक्ट कर सकते हैं।

लेकिन पेट में मौजूद बैक्टीरिया और दिमाग के बीच रिसर्च पशु मॉडल में किए गए हैं। जिसमें मानव अनुसंधान पिछड़ रहा है। शोधकर्ताओं ने जनसंख्या-स्तर के अध्ययन में हमने बैक्टीरिया के कई समूहों की पहचान की जो डिप्रेशन और लोगों में जीवन की गुणवत्ता के साथ संबंधित थे।

टीम ने एक विशेष तकनीक भी तैयार की जिसने यह पता लगाया जा सका है कि कौन से बैक्टीरिया तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने 500 से अधिक मानव पेट बैक्टीरिया को देखा इस पर ध्यान केंद्रित किया कि क्या वे न्यूरोएक्टिव यौगिकों का उत्पादन कर सकते हैं। और इससे पता चला कि कौनसे बैक्टीरिया दिमाग को प्रभावित कर सकते हैं।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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