ये हुआ था

दलितों को अधिकार दिलाने के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर ने समर्पित कर दिया था अपना पूरा जीवन

हमारे देश के संविधान निर्माता ‘भारत रत्‍न’ डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की आज 6 दिसंबर को 67वीं पुण्यतिथि है। डॉ. आंबेडकर को ‘बाबासाहेब’ के नाम से भी जाना जाता है। वह एक प्रसिद्ध भारतीय कानूनविद्, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक व अर्थशास्त्री थे। उन्होंने दलितों के प्रति हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया। आंबेडकर ने वर्ष 1956 में सामूहिक रूप से दलितों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था। डॉ. भीमराव आंबेडकर को वर्ष 1990 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ मरणोपरांत दिया गया। इस अवसर पर जानिए डॉ. आंबेडकर के जीवन के बारे में कुछ अनसुने किस्से…

बाबासाहेब आंबेडकर का जीवन परिचय

भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रांत (वर्तमान मध्य प्रदेश) के महू नगर और सैन्य छावनी में हुआ था। उनके जन्म स्थान को अब डॉ. आंबेडकर नगर के रूप में जाना जाता है। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल थे, जो ब्रिटिश सेना में अधिकारी थे। उनकी माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव आंबेडकर अछूत महार जाति के थे। ब्रिटिश शासन के दौरान सेना के कर्मचारी और उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष स्कूल चलाए गए। इनमें भीमराव की शिक्षा हुईं।

उन्होंने बचपन से ही जातिगत भेदभाव का महसूस किया। उनके पिता के सेवानिवृत होने के बाद सतारा में आकर रहने लगे। यहां के स्कूल में उनको कक्षा के एक कोने के फर्श पर बैठना पड़ता था। स्कूल के अध्यापक भी उनके साथ भेदभाव करते थे। इन सब कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखीं। भीमराव ने वर्ष 1908 में बंबई विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कीं।

भीमराव वर्ष 1906 में शादी हो गई थी। उनकी पत्नी का नाम रमाबाई था। जिनकी लंबी बीमारी के कारण 27 मई, 1935 को मृत्यु हो गईं। बाद में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने सविता नाम की ब्राह्मण महिला से विवाह कर लिया और उनके साथ ही बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

दलितों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ीं

वर्ष 1912 में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने बंबई विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त कीं और उन्हें बड़ौदा में एक नौकरी मिल गईं। बाद में कानून की पढ़ाई के लिए आंबेडकर इंग्लैंड चले गए। वहां से उन्होंने अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अध्ययन किया और कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कीं।

देश की आजादी के दौरान बाबासाहेब ने देश के दबे-कुचले लोगों को अधिकार दिलाने के लिए लड़ाई लड़ीं। पढ़े-लिखे होने के बाद भी जाति की वजह से उन्हें कई बार अपमानित होना पड़ता था। इन बातों ने उन्हें झकझोर दिया। दलितों के साथ होने वाले भेदभाव के कारण उनका हिंदू धर्म से मोहभंग होने लगा। भीमराव ने दलितों को एकत्रित किया और उन्हें अपने हक के लिए लड़ना सिखाया। उस जमाने में दलितों को कुएं और तालाबों से पानी नहीं भरने दिया जाता था। उन्हें मंदिरों में प्रवेश वर्जित था।

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पानी के सार्वजनिक संसाधनों को समाज के सभी तबकों के लिए सुलभ कराने की लड़ाई लड़ीं। उन्होंने ‘अछूतों’ को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाया और समाज से छुआछूत खत्म करने के लिए जीवन भर लड़ते रहे। आंबेडकर ने शिक्षा पर बहुत जोर दिया था। उनका कहना था कि शिक्षा ही समाज में समानता ला सकती है। जब मनुष्य शिक्षित हो जाता है, तब उसमें विवेक और सोचने की शक्ति पैदा हो जाती है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर का निधन

भीमराव आंबेडकर का 6 दिसंबर, 1956 को नई दिल्ली में निधन हो गया। डॉ. आंबेडकर की दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिमाएं हैं। उनकी पहली प्रतिमा वर्ष 1950 में कोल्हापुर शहर में बनाई गई थी।

Read: वैज्ञानिक व सामाजिक कार्यकर्ता राजीव दीक्षित की मौत का रहस्य आजतक भी है बरकरार

Rakesh Singh

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

2 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

2 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago