हलचल

चुनाव के बाद पैट्रोल-डीजल क्यों होते हैं महंगे, ये है लाख रूपये के इस सवाल का जवाब

देश में पिछले दो महीने से चल रही चुनावी हवा 19 मई को आखिरी चरण के मतदान के बाद रूक गई तो दूसरी तरफ अगली सुबह 20 मई को देश की अवाम को पैट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों का झटका लगा। देश भर में पैट्रोल की कीमतों में 8 से 10 पैसे तो डीजल की कीमतों में 15 से 16 पैसों तक की बढ़ोतरी की गई है।

सरकारी तेल विपणन कंपनियां पिछले कई दिनों से पैट्रोल-डीजल की कीमतों पर विचार कर रही थी। अक्सर यह देखा गया है कि चुनावों के बाद देश में पैट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल आता है। ऐसे में आइए समझने की कोशिश करते हैं, कि कैसे पैट्रोल-डीजल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है और तेल कंपनियां कैसे कीमतें निर्धारित करती है।

भारत में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर इंडियन ऑयल, भारत पैट्रोलियम और हिंदुस्तान पैट्रोलियम जैसी भारतीय कंपनियां पैट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव करती है। इसके अलावा कुछ और कारक भी हैं जो पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम-ज्यादा करने में अहम रोल निभाते हैं।

कैसे तय होते हैं दाम ?

सबसे पहले भारत खाड़ी या दूसरे देशों से कच्चा तेल खरीदता है जिसके बाद उसे ट्रांसपोर्ट कर भारत लाया जाता है। अब कच्चे तेल को हमारे देश की रिफाइनरी कंपनियां रिफाइन करती है तथा रिफाइन करने के बाद इसका वितरण किया जाता है।

आपकी वाहन की टंकी तक पहुंचने से पहले कच्चे तेल में परिवहन लागत, परिशोधन लागत जुड़ जाती है। इसके अलावा केंद्र सरकार का उत्पाद शुल्क और डीलर का कमीशन जुड़ने के साथ ही हर राज्य अपने अनुसार उस पर वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) लगाते हैं।

बढ़ती मांग

भारत एवं अन्य विकासशील देशों में आर्थिक विकास की वजह से पैट्रोल और अन्य आवश्यक ईंधनों की मांग बढ़ी है। इसके अलावा निजी वाहन मालिकों की संख्या बढ़ने के कारण भी पैट्रोल और डीजल की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है, जिसके कारण कीमतों में कमी या बढ़ोतरी देखी जाती है।

आपूर्ति और मांग में असंतुलन

कभी-कभार अंतरराष्ट्रीय बाजार से आने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति और मांग में असंतुलन से कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है, जिसके कारण भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियां ग्राहकों की मांग को समय पर पूरा नहीं कर पाती है। इसी असंतुलन के कारण एक बार कुछ समय के लिए कंपनियां तेल की कीमतें बढ़ा देती हैं।

टैक्स रेट

पैट्रोल और अन्य पैट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र व राज्य दोनों सरकारें कई तरह के टैक्स लगाती है। तेल की कीमतें सरकारों की ओर से लगाए जा रहे इन करों पर भी निर्भर होती है। जब सरकारें टैक्स बढ़ाती है तो कंपनियां बढ़ा हुआ टैक्स ग्राहकों से वसूलती है।

रुपये और डॉलर वाला झोल

डॉलर और रूपया अपनी कीमतों को लेकर पूरे साल एक-दूसरे से ऊपर नीचे की लड़ाई करते रहते हैं। रुपये की कीमत में गिरावट आना भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित करता है। कुछ देश ऐसे हैं जहां से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारतीय तेल कंपनियां डॉलर में भुगतान करती है, ऐसे में जब रूपया कमजोर होता है तो भारतीय कंपनियों को ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ती है।

राजनीतिक हलचल

देश में होने वाली राजनीतिक हलचल मसलन चुनाव, सरकारें गिरना, बजट सत्र जैसे मौकों पर कंपनियां तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकती है, लेकिन ज्यादा समय तक कीमतों को स्थिर बनाए रखना संभव नहीं है, ऐसे में किसी भी तरह की राजनीतिक उठा-पटक के बाद अचानक से तेल की कीमतों में बदलाव दिखाई देता है।

sweta pachori

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

1 month ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

1 month ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago