हलचल

भगोड़ों को लाने में सरकार की एड़ियां घिस गई और मंत्री कह रहे हैं “माल्या जी मासूम है” !

एक तरफ देश हर कुछ दिन बाद एक नए बिजनैसमेन को देश से भागते हुए की खबरें पढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर खुद सरकार के मंत्री ऐसी बयानबाजी करते हैं जिनसे लगता है कि सरकार क्या वाकई में इन बैंक डिफॉल्टर्स को देश वापस लाने के लिए गंभीर है?

सरकार के परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा कि “एक बार कर्ज नहीं चुका पाने वाले ‘विजय माल्याजी’ को चोर कहना गलत है। संकट से जूझ रहे उद्योगपति का चार दशक तक सही समय पर पूरा टैक्स और कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनका माल्या के साथ कोई कारोबारी संबंध नहीं है।

गौरतलब है कि हाल ही में ब्रिटेन की अदालत ने माल्या को भारत को सौंपने के निर्देश दिए हैं। माल्या पर कथित रूप से 9,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी तथा मनी लॉंड्रिंग के आरोप हैं।

इसके अलावा गडकरी का कहना था कि “40 साल तक माल्या जब नियमित भुगतान कर रहा था, ब्याज दे रहा था। 40 साल बाद जब वह एविएशन में गया, पर एक बार जैसे ही वो डिफॉल्ट हो गया… तो तुरंत सब धोखाधड़ी का नाम लेने लगे। ये मानसिता ठीक नहीं है।”

गडकरी ने इसके आगे यह भी कहा कि जिस कर्ज की बात की जा रही है वह महाराष्ट्र सरकार की इकाई सिकॉम द्वारा माल्या को दिया गया था और यह कर्ज 40 साल पहले दिया गया था। यह कर्ज माल्या ने बिना रूके समय पर चुकाया था।

मंत्री ने आगे माल्या का तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि किसी भी कारोबार में हर तरह का समय देखना होता है। हर किसी को कारोबार में दिक्कतें आती है हमें समर्थन और विरोध दोनों बराबर करना चाहिए।

अर्थव्यवस्था पर चिंता जताते हुए आगे गडकरी बोले कि अगर मोदी या विजय माल्याजी ने (वित्तीय) धोखाधड़ी की है तो उन्हें जेल भेज दें, लेकिन जो भी संकट में आता है और यदि हम उन्हें धोखाधड़ी के रूप में लेबल करते हैं तो हमारी अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं करेगी।

आपको बता दें कि गडकरी लंबे समय से एनपीए को अधिक विचारशील और यथार्थवादी दृष्टिकोण से देखने की मांग कर रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से बैंकरों को एनपीए गड़बड़ी के लिए दोषी ठहराते हुए कहते हैं कि हमारी बैंकिंग प्रणाली ऐसी है कि यह बीमार कंपनियों का समर्थन नहीं करती है।

“जब कोई गंभीर होता है तो हम उसे आईसीयू में डाल देते हैं, लेकिन हमारी बैंकिंग प्रणाली पहले आईसीयू में एक बीमार कंपनी डालती है और फिर यह सुनिश्चित करती है कि यह मर जाए।”

जब नितिन गडकरी अपने इस बयान से घिरे तो हमेशा की तरह वो सफाई देने के लिए सामने आए और बोले व्यापार में मंदी और वित्तीय धोखाधड़ी में स्पष्ट अंतर होता है। मेरा बयान मंदी के दौरान समर्थन करने को लेकर था। धोखाधड़ी पूरी तरह से अस्वीकार है और रहेगी।

sweta pachori

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