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स्वेदश निर्मित ‘धनुष तोप’ भारतीय सेना में शामिल, जानें इसकी खूबियां

भारत का अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से कश्मीर मसले पर बढ़ते तनाव और संभावित खतरों की वजह से भारतीय सेना ने स्वेदश निर्मित तोप धनुष को आर्टिलरी विंग में शामिल किया है। इसकी मारक क्षमता बेहद सटीक और खतरनाक है। यह 50 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। इसको शामिल करने की जानकारी बुधवार को भारतीय सेना के आर्मी कोर कमांडर ने कॉन्फ्रेंस में दी।

यही नहीं इस तोप की मारक क्षमता को ज्यादा घातक बनाने के लिए इसके साथ अमेरिका के खतरनाक प्रिसिजन गाइडेड एक्सकैलिबर आर्टिलरी एम्युनिशन को भी सेना में शामिल कर लिया गया है। एक्सकैलिबर आर्टिलरी एम्युनिशन यानि गोला-बारूद जो तोप में इस्तेमाल होता है वह आधुनिक गोला-बारूद है। यह शत्रु के ठिकानों को सटीक रूप से अपना निशाना बना सकता है। इसे बढ़ते खतरों की वजह से अमेरिका से एक्सकैलिबर गोला-बारूद को फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत खरीदा है।

एक्सकैलिबर गोला—बारूद के लक्ष्य भेदन की क्षमता 40 किलोमीटर से भी अधिक तक की है, जो पूरी तरह सटीक होता है। यह जीपीएस सिस्टम से लैस है, जो अपने लक्ष्य को पहचानकर निशाना साधती है।

धनुष तोप स्वीडिश तोप बोफोर्स का स्वदेशी उन्नत संस्करण है। इसमें लगे 100 फीसदी कलपुर्जे स्वदेशी हैं। सेना की ओर से हर मौसम के अनुसार इसके सभी परीक्षण किए जा चुके हैं। जिसमें यह तोप खरी उतर चुकी है। यह तोप देश की सरहद वाले क्षेत्रों में इस्तेमाल में लाई जाएंगी।

इन खूबियों से लेस है हमारी ‘धनुष’

2692 किलोग्राम बैरल का वजन
46 किलोमीटर तक मारक क्षमता
2 फायर प्रति मिनट में दो घंटे तक लगातार गोले दागने में सक्षम
3 फायर प्रति मिनट में डेढ़ घंटे तक लगातार दागने में सक्षम
46.5 फायर प्रति मिनट करने की क्षमता
12 फायर प्रति मिनट करने की क्षमता

धनुष है दुनिया की टॉप—5 तोपों में शामिल

बोफोर्स बीओ-5 (स्वीडन)
एम 46-एस (इजरायल)
जीसी 45 (कनाडा)
नेक्सटर (फ्रांस)
धनुष (भारत)

जबलपुर के ‘गन कैरेज फैक्ट्री’ में होता है धनुष का निर्माण

उत्तर प्रदेश के जबलपुर की गन कैरेज फैक्ट्री GCF खमरिया में स्वदेशी धनुष तोप का निर्माण कार्य किया जा रहा है। धनुष तोपों को बोफोर्स तोपों का स्वदेशी संस्करण कहा जाता हैै। GCF को कुल 114 तोपों का ऑर्डर मिला है।

धनुष तोप का निर्माण कार्य 2011 से शुरू हुआ था, जो 2014 में पूरा हो गया था। इनके निर्माण के बाद से ही लगातार 4 साल से तोप का परीक्षण चल रहा था।

धनुष तोप नेवीगेशन आधारित साइटिंग सिस्टम, ऑटो लेइंग सुविधा, ऑनबोर्ड बैलिस्टिक गणना और दिन-रात में सीधी फायरिंग की सुविधा, बॉल बैग और बाई माड्यूलर सिस्टम दोनों का इस गन में प्रयोग किया गया है। जिससे इसकी रेंज बढ़ गई है। सेल्फ प्रोपल्शन टीम इसे आसानी से शिफ्ट भी कर सकती है।

Rakesh Singh

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