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अभिनंदन की भारत वापसी पर जश्न का माहौल, लेकिन इन 6 सवालों के जवाब कौन देगा ?

दक्षिण एशिया के लिए पिछले तीन काफी तनाव भरे रहे। गुरुवार को, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की कि भारतीय लड़ाकू पायलट अभिनंदन वर्थमान को रिहा किया जाएगा। यह कदम भारत द्वारा मंगलवार को पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकवादी कैंप पर हवाई हमला करने के बाद आया, जिसके बाद अगले दिन पाकिस्तानी वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी। दोनों देशों की वायुसेना के बीच बीते दो दिन ऐसे हालात पैदा हो गए जिससे यह चिंता होने लगी कि स्थिति युद्ध होने की ना आ जाए।

यह संभावना अब बहुत कम लगती है क्योंकि पाकिस्तान ने बिना किसी शर्त के भारतीय पायलट को रिहा करने का फैसला किया है। इस कदम से यह माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो जाना चाहिए। 14 फरवरी के पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के ऊपर आए वैश्विक दबाव को कम करने के लिए इमरान खान का यह फैसला संभावित रूप से काम कर सकता है।

जैसा कि भारतीय जनता आज वर्थमान की रिहाई और स्वागत करने का इंतजार कर ही है वहीं इस पूरे घटनाक्रम में कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब मिलना अभी भी बाकी है।

क्या इसके बाद जम्मू-कश्मीर और LoC पर तनाव खत्म हो जाएगा ?

दो दिनों तक ऐसा लग रहा था कि युद्ध की पक्की संभावना बन चुकी है और इससे पहले भी, जम्मू और कश्मीर में माहौल तनावपूर्ण था। वर्थमान की रिहाई और पाकिस्तान की तरफ से इस सद्भावना के इशारे के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच संबंधों में ढील का जम्मू-कश्मीर पर भी असर होना चाहिए। भले ही, कई मुद्दे -जिसमें इंटेलिजेंस और ऑपरेशनल विफलताएं शामिल हैं, जिनके कारण पुलवामा हमला होने की संभावनाएं बनी, उनके जवाब अभी अनसुलझे बने हुए हैं।

वास्तव में बालाकोट और आसमान में क्या हुआ था?

भारत और पाकिस्तान के बीच बाहरी दुश्मनी का अंत इस बात पर ध्यान केंद्रित कर सकता है कि आगे क्या होता है, लेकिन कई सवाल अभी भी बने हुए हैं कि पिछले कुछ दिनों में क्या हुआ था। 26 फरवरी को बालाकोट में भारतीय हमले से वास्तव में कितना नुकसान हुआ था? इसके बाद पाकिस्तानी जेट ने LoC को पार कैसे कर लिया और यहां तक ​​कि एक भारतीय लड़ाकू जेट को भी कैसे मार गिराया? क्या एक पाकिस्तानी जेट को भी मार गिराया गया था?

क्या भारतीय कार्रवाई ने पाकिस्तान का दृष्टिकोण बदल दिया है?

बालाकोट की हवाई कार्रवाई का प्राथमिक भारतीय उद्देश्य पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने और भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने या समर्थन करने से रोकने के लिए मजबूर करना था। पाकिस्तान ने दशकों से अपनी धरती पर आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी है जिसके बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक और फिर पाकिस्तान में बालाकोट हमले के साथ पाकिस्तान को मजबूत संदेश देने की ठानी। हालांकि गुरूवार को पाकिस्तान को पहले की यथास्थिति को बहाल करने के प्रयास के रूप में देखा गया था। क्या इस पूरे घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान का आतंकवाद को लेकर दृष्टिकोण बदल सकता है ?

कहां थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विपरीत, जिन्होंने अपने देश और भारत को दो दिनों में दो बार संबोधित किया और अंत में गुरुवार को संसद में वर्थमान की रिहाई की घोषणा की, मोदी और उनकी सरकार ने भारतीय जनता से बमुश्किल बात की। इसके बजाय, भारतीय जनता पार्टी और मोदी ने कई राजनीतिक व्यस्तताओं सहित अपने निर्धारित कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया। जबकि भारतीय मीडिया के भी सरकार की इस चुप्पी को खुलकर उजागर नहीं किया।

मीडिया इसे कैसे स्पिन करेगा?

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अनिवार्य रूप से इमरान खान के फैसले पर ध्यान केंद्रित करेगा, भले ही वे उस भूमिका का उल्लेख न करें जो सऊदी अरब और अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान ने निभाई है। लेकिन भारतीय मीडिया, जिस पर पिछले कुछ दिनों से सरकार के प्रचार को केवल बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं उन्होंने इस पूरे मामले को मोदी की बड़ी जीत के रूप में बेचने का प्रयास किया। अब भारतीय मीडिया इस मामले को आगे कैसे लेकर जाएगा ?

क्या दोनों तरफ से युद्ध की संभावनाएं थोड़ी ठंडी होंगी ?

भारत के ऊपर कठोर कार्रवाई की उम्मीद रखने वाले पाकिस्तानी पहले से ही बिना कुछ हासिल किए भारतीय पायलट को वापस करने के लिए इमरान खान की आलोचना कर रहे हैं। इस बीच, भारत में, यह संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी का बेस इससे मजबूत ऐसे होगा कि मोदी इमरान खान को झुकाने में कामयाब रहे। लेकिन फिर भी यह सवाल पूछा जा सकता है कि पाकिस्तान पहले भारतीय पायलट को कैसे हासिल करने में सक्षम हुआ? वहीं मीडिया के कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि बालाकोट हमले में 200 से 300 लोग मारे गए थे, हालांकि अब तक इस बात के बहुत कम सबूत हैं। यदि कोई और नुकसान होने का कोई और सबूत नहीं मिलता है, तो यह कहानी भी आगे चलकर खोखली हो सकती है।

sweta pachori

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