चलता ओपिनियन

सचिन तेंदुलकर की हिंदी कॉमेंट्री आज के कॉमेंटेटर्स के लिए मिसाल है?

आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के 12वें संस्करण में भारत और पाकिस्तान के बीच मोस्ट अवेटेड मुकाबला हो चुका है। भारत का प्रतियोगिता में यह चौथा मैच था, अब तक खेले तीन मैचों में भारतीय टीम ने जीत दर्ज की है और न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ मैच बारिश के कारण रद्द हो गया था। अपने चौथे मुकाबले में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मैच में टीम इंडिया ने शानदार जीत हासिल की और विश्व कप में लगातार सातवीं बार हराने का रिकॉर्ड भी बनाया। भारत-पाकिस्तान की पारंपरिक प्रतिद्वंदिता के अलावा इस मैच की एक और खास बात यह थी कि इसमें दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर मैच के टीवी प्रसारण के दौरान हिंदी में कॉमेंट्री कर रहे थे। हालांकि, इससे पहले सचिन विश्व कप के मैचों में अंग्रेजी में कॉमेंट्री कर चुके थे। गौर करने वाली बात यह है कि इस विश्व कप में ही सचिन ने आधिकारिक तौर पर कॉमेंट्री करने की शुरुआत की है। इससे पहले वह कभी-कभार बतौर एक्सपर्ट हिंदी-अंग्रेजी के कॉमेंट्री बॉक्स में आते थे।

सचिन ने क्रिकेट की बारीकियों को दर्शकों तक पहुंचाया

भारतीय क्रिकेट टीम के मैचों के टीवी प्रसारण के दौरान पिछले कुछ सालों से हिंदी कॉमेंट्री पर सभी प्रसारणकर्ताओं का फोकस रहा है और टीवी पर हिंदी कॉमेंट्री लोकप्रिय भी हो रही है। लेकिन इसके साथ-साथ लगातार इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं। हिंदी कॉमेंट्री में सचिन तेंदुलकर का आना इसीलिए भी ध्यान खींचने वाला है, उन्होंने पूर्व क्रिकेटर्स की ‘दशा खराब तो दिशा खराब’ और ‘पकड़ो कैच, जीतो मैच’ जैसी जुमलों से भरी कॉमेंट्री के बीच अपना एक अलग ही रूख अपनाया और खेल की बारीकियों की अपनी समझ को बहुत आसान भाषा में क्रिकेट दर्शकों तक पहुंचाया।

वहीं, दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों से टीवी पर हिंदी कॉमेंट्री सुन रहे दर्शक इस बात को महसूस कर सकते हैं कि क्रिकेट की तकनीकी जानकारी रखने वाले ये पूर्व कॉमेंटेटर धीरे-धीरे एक तय शब्दों में बंध जाते हैं और मैच के दौरान बार-बार वही बातें दोहराते नज़र भी आते हैं। उदाहरण के तौर पर, फलां बल्लेबाज लेग स्टंप पर बहुत अच्छा खेलते हैं और अगर बॉलर इनके पैरों में बॉल फेंकेगा तो बहुत पिटाई खाएगा। इस तरह के ‘शब्द-खेल’ एक-दो बारगी तो ठीक लगते हैं, लेकिन बार-बार उनका दोहराव दर्शकों को चुभने लगता है। कई बार पूर्व खिलाड़ी और वर्तमान कॉमेंटेटर अपने दौर के ड्रेसिंग रूम की चर्चा शुरु कर देते हैं, जिसे कमेंट्री का एक पक्ष कहा जा सकता है, लेकिन इसकी भी सीमा तय होनी चाहिए।

सचिन ने अच्छी कमेंट्री करते हुए साफ-सुथरी हिंदी बोली

विश्व कप में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले के दौरान सचिन तेंदुलकर को लंबे समय तक प्रभावी हिंदी बोलते देखकर दर्शक एक बारगी जरूर चौंक गए होंगे। क्योंकि सचिन मुंबई से आते हैं और मुंबइयां हिंदी का अपना अलग स्टाइल है। मैच के दौरान लगभग हर कॉमेंटेटर खेल के विभिन्न पहलुओं पर बात करता है, लेकिन इस मैच में सचिन ने ऐसा बिलकुल अलग अंदाज में करते हुए कॉमेंट्रेटर के सामने हिंदी कॉमेंट्री की मिसाल पेश की। हम सब देखते हैं कि कॉमेंट्री बॉक्स में अक्सर पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों की मौजूदगी रहती है और उनका अनुभव बड़ा लंबा होता है। लेकिन, जिस तरह सचिन तेंदुलकर ने कॉमेंट्री की, वैसी हर कोई नहीं कर पाता है। सचिन की कॉमेंट्री में यह साफ दिखा रहा था कि उन्होंने अपने लंबे क्रिकेट कॅरियर के अनुभवों को बहुत बारीकी से महसूस किया है और उन अनुभवों के चलते ही उनके पास हर परिस्थिति में कहने के लिए बहुत कुछ है।

सचिन की कॉमेंट्री दूसरे कमेंटेटर्स के लिए प्रेरणास्पद

इंग्लैंड की ओवरकास्ट परिस्थितों में तेज गेंदबाजों को विकेट पर स्विंग मिलने और बल्लेबाजों के लिए मुश्किल होना सामान्य बात है। लेकिन, कॉमेंट्री के दौरान पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सचिन ने बताया कि ऐसी परिस्थितों में स्पिनर्स अगर गेंद को फ्लाइट (हवा में रखें) दें तो उन्हें किस प्रकार से विकेट निकालने में मदद मिल सकती है। उन्होंने अपने लंबे क्रिकेट अनुभवों से बताया कि बॉलिंग की दिशा और लंबाई ऐसी रखी जाए कि बल्लेबाज हवा के विपरीत शॉट खेलने को मजबूर हो जाए। ऐसे में हवा के ख़िलाफ़ लगाए गए शॉट कई बार बाउंड्री के बाहर नहीं पहुंच पाते हैं और बल्लेबाज कैच आउट हो जाता है। इसी मैच के दौरान यह देखा गया कि जब भारतीय स्पिनर युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव ने धीमी और फ्लाइटेड गेंदे फेंकनी शुरु कीं तो उन्हें पाक बल्लेबाजों को आउट करने में सफलता मिली।

कॉमेंट्री में लंबा क्रिकेट अनुभव होता दिख रहा है समाहित

सचिन तेंदुलकर ने कॉमेंट्री बॉक्स में कॉमेंट्री करते हुए भुवनेश्वर कुमार के चोट लगने के बाद उनके हाव-भाव देखकर बता दिया था कि उन्हें समस्या है और यह समस्या उनके घुटनों में है। ये तमाम बातें बताती है कि सचिन अपने लंबे अनुभव का किस तरह उपयोग करते है। इसके अलावा मैच जब बारिश के चलते रूका और फिर सभी लोग खेल शुरु होने के लिए अंपायर की ओर देखने की बात कर रहे थे, तब सचिन ने कहा कि अंपायर की तरफ देखने के बजाय हमें ग्राउंडस्टाफ की तरफ देखना चाहिए। क्योंकि मैदान की हालत क्या है, मैच शुरु हो सकता है या नहीं, यह ग्राउंडस्टाफ के हाव-भाव देखकर पता चल जाएगा। फिर तेजी से दौड़ते ग्राउंड स्टाफ को देकखर सचिन ने कह दिया था कि खेल जल्द शुरु हो जाएगा। इसके कुछ देर बाद ही खेल फिर से शुरु हो गया था।

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अपने शानदार कॅरियर, रिकॉर्डों और लोकप्रियता के दम पर ‘क्रिकेट के भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की दुनिया के लिए एक मिसाल हैं। उनसे सभी कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं। आजकल के पूर्व खिलाड़ी कॉमेंटेटर्स भी चाहें तो सचिन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। सचिन ने शानदार हिंदी कॉमेंट्री कर यह साबित किया कि आपको इस दौरान सबसे ज्यादा बात उस खेल की करनी चाहिए, जिसमें आप माहिर हैं। मैच के दौरान कॉमेंट्री में तुकबंदियों और पूअर जॉक्स की जरूरत नहीं है। आप के पास कहने के लिए सचिन की तरह खेल की सभी बारिकियों की समझ और अनुभव को समाहित करने का ग़ज़ब तरीका होना चाहिए।

Raj Kumar

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