हलचल

बीएचयू में फिरोज खान की संस्कृत विभाग में नियुक्ति पर मीडिया ने फैलाया झूठ?

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानि बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ छात्र करीब दो सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह ख़बर सबसे पहले मीडिया के जरिए ही पब्लिक डोमेन में आई। इस पर मीडिया ने लिखा था कि मुस्लिम शिक्षक को बीएचयू में संस्कृत पढ़ाने से रोकने के लिए छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है। कई राजनेता, राजनीतिक दल, साधु-संतों से लेकर सेलिब्रिटीज भी शिक्षक फिरोज खान के पक्ष में उतर आए हैं। उनका यहां तक कहना है कि किसी अन्य धर्म के शिक्षक को संस्कृत पढ़ाने से रोकना शर्मनाक है। लेकिन असल में यह क्या मामला है और छात्र किस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं? इस बारे में सच्चाई जाने बगैर ही लोग अपना बयान दे रहे हैं और फिरोज खान की नियुक्ति को सही ठहरा रहे हैं।

क्या है बीएचयू का असल मामला?

हाल में फिरोज खान नाम के शिक्षक की नियुक्ति बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में ‘वेद का छंद शास्त्र’ पढ़ाने के लिए हुई ​थी। 5 नवंबर, 2019 को फिरोज ने विश्वविद्यालय ज्वाइन कर लिया था। 7 नवंबर से उनकी नियुक्ति के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया। बीएचयू के छात्रों का विरोध प्रदर्शन इस बात को लेकर है कि बीएचयू के नियम और अधिनियम के अनुसार, धर्मकांड की शिक्षा कोई गैर धर्म का शिक्षक नहीं पढ़ा सकता। न की छात्र फिरोज खान के संस्कृ​त पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इस मामले में मीडिया ने झूठ बेचने का काम किया। जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, उसने मामले को साम्प्रदायिक बनाने का काम किया। विश्वविद्यालय के नियमों को ताख पर रखकर मीडिया ने इसे जबरदस्ती मसाला बनाया है। जोकि उसकी नैतिक जिम्मेदारी का मज़ाक है।

सवाल उठता है कि मीडिया ने छात्रों का पक्ष जाने बगैर ही मामले में झूठ फैलाने और साम्प्रदायिक रंग देने का काम क्यों किया? जबकि ये मसला संस्कृत विभाग में नहीं, बल्कि धर्म विज्ञान विभाग में नियुक्ति का है। इस मामले में बीएचयू प्रशासन असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान के पक्ष में खड़ा है। बीएचयू के चांसलर जस्टिस गिरधर मालवीय का कहना है कि छात्रों का विरोध प्रदर्शन गलत कदम है। बीएचयू फिरोज खान की नियुक्ति के फैसले को वापस नहीं लेगा। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर ओपी राय कहते हैं कि विश्वविद्यालय ने नियमों का पालन किया। फैसला वापस लेने का कोई सवाल नहीं है। छात्रों ने जो किया वो करने का उन्हें अधिकार है।

क्या अपनी गलती मानने से बच रहा बीएचयू प्रशासन?

फिरोज खान की नियुक्ति मामले में बीएचयू प्रशासन अपनी गलती स्वीकार करे या न करे, लेकिन उससे गलती हो चुकी है। इस बात से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के चेयरमैन भी इत्तेफाक़ रखते हैं। उनका कहना है कि कहीं न कहीं नियुक्ति के समय बीएचयू चयन समिति से एक चूक हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि फिरोज खान की नियुक्ति साफ ढंग से की गई। लेकिन हिंदू धर्म के शिक्षक को ही धर्मकांड पढ़ाना चाहिए। दरअसल, यूनिवर्सिटी के दशकों पुरानों नियम कायदे भी यही कहते हैं। नियमों के अनुसार, बीएचयू में धर्मकांड की शिक्षा हिंदू, सनातनी, जैन, सिक्ख या बौद्ध धर्म से ताल्लुख रखने वाले ही दे सकते हैं।

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दो विभाग हैं जिनमें से एक संस्कृत भाषा, जोकि हिंदी विभाग के अंतर्गत ही आता है, वहीं दूसरा संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग बीएचयू में अलग से बना हुआ है। संस्कृत विभाग में संस्कृत को अन्य भाषाओं की तरह पढ़ाया जाता है। लेकिन संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में सनातन धर्म के रीति-रिवाजों, मंत्रों, श्लोकों, पूजा-पाठ के तौर-तरीकों और धर्म गुरु बनने के बारे में सिखाया जाता है। छात्रों को संस्कृत को भाषा के तौर पर किसी भी जाति-धर्म के टीचर द्वारा पढ़ाए जाने पर कोई ऐतराज नहीं है। छात्रों का कहना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान को दूसरे विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाए, उन्हें कोई आपत्ति नहीं रहेगी। जब तक उनका ट्रांसफर नहीं किया जाता तब तक विरोध आगे भी जारी रहेगा।

Read More: ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट डेब्यू करने वाला सबसे युवा खिलाड़ी बना यह पाकिस्तानी क्रिकेटर

मीडिया के कई नामी जर्नलिस्ट जिसमें बरखा दत्त जैसी सीनियर पत्रकार भी शामिल हैं, उनका कहना है कि बीएचयू के इन प्रदर्शनकारी छात्रों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए इन्हें सस्पेंड किया जाए। जबकि जेएनयू में ​फीस वृद्धि को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं आती है। हैरानी की बात है कि अधिकांश मीडिया समूहों का बीएचयू मामले में झूठा फैलाना और नामी जर्नलिस्ट का दोगला रवैया इस क्षेत्र की साख, प्रतिष्ठा, सम्मान को दिन-ब-दिन नीचे गिरा रहा है। ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब लोगों मीडिया को सीरियस लेना ही बंद कर देंगे!

Raj Kumar

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

2 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

2 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago