हलचल

क्या है सोहराबुद्दीन केस जिसमें कोर्ट ने 22 आरोपियों को बरी किया है?

गुजरात के शोहराबुद्दीन केस को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। इस केस में अब सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। आज 13 साल बाद इस केस में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। 22 आरोपियों को इस केस में सबूतों के अभाव में अब बरी कर दिया है।

इससे पहले सबूतों के अभाव में ही 16 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। यह केस इसलिए चर्चा में रहा है क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी इसमें आया था। मगर साल 2014 में उन्हें भी बरी कर दिया गया था।

आइए जानते हैं कौन था सोहराबुद्दीन और इस केस से जुड़ी सभी बातें-

कुछ लोगों का कहना है कि शोहराबुद्दीन एक पुलिस इनफोर्मर था जो कि बाद में गैंगस्टर बन गया। सोहराबुद्दीन ने बहुत कम उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रख लिया था। 1995 की बात है जब सोहराबुद्दीन को हथियार रखने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।

सीबीआई के अनुसार नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी प्रजापति को अगवा कर लिया गया और अहमदाबाद के पास एक फर्जी मुठभेड़ में कथित तौर पर सोहराबुद्दीन का एनकाइउंटर कर दिया गया। तीन दिन बाद पत्नी की भी हत्या कर दी गई और शव को ठिकाने लगा दिया गया।

गुजरात-राजस्थान पुलिस ने 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति को भी एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था। इस केस में अभियोजन ने 201 लोगों से पूछताछ की जिनमें से 92 लोग मुकर गए थे। सीबीआई ने यह भी कहा था कि व्यापारियों के उगाही के लिए गुजरात पुलिस सोहराबुद्दीन का इस्तेमाल करती थी। कहा यह जाता है कि प्रजापति ने सोहराबुद्दीन का पता ठिकाना बताया था और कहा गया कि पुलिस उसे सिर्फ गिरफ्तार करेगी। जब प्रजापति का एनकाउंटर हुआ तब उसकी उम्र 28 साल की थी। आइए इसे और अच्छे से समझते हैं-

साल 2005 में गुजरात पुलिस ने यह दावा किया कि सोहराबुद्दीन शेख की मुठभेड़ में मौत हो गई। और कहा कि सोहराबुद्दीन के संबंध आतंकी संगठनों से थे। साथ ही वह तत्कालीन नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश कर रहा था।

सीबीआई जांच में कुछ और ही सामने आया। जांच में सामने आया कि सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी 22 नवंबर 2005 को सहयोगी प्रजापति के साथ हैदराबाद से सांगली जा रहे थे जब उन्हें बस से अगवा कर लिया गया था।

और चार दिन बाद अहमदाबाद में एक कथित फर्जी एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन की हत्या कर दी गई। इसके तीन दिन बाद सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी का रेप और मार कर उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया था।

करीब एक साल बाद प्रजापति को भी एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। इसके विपरीत पुलिस का कहना था कि प्रजापति ने भागने की कोशिश की जिसके बाद उसे गोली लग गई। अमित शाह उस वक्त गृह मंत्री हुआ करते थे। जिनको कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि अमित शाह को राजनैतिक कारणों से इसमें शामिल किया था।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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