ये हुआ था

आयरन लेडी के वो सात बड़े फैसेले, जो भारत के इतिहास में हैं शामिल

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 101वीं जयंती है। फौलादी इरादों और निडर फैसलों वाली देश की पहली महिला प्रधानमंत्री का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई।

उनका जन्म इलाहाबाद में हुआ था, उनका बचपन का नाम प्रियदर्शिनी था। वह प्रभावी व्यक्तित्व वाली मृदुभाषी महिला थीं और अपने कड़े से कड़े फैसलों को पूरी निर्भयता से लागू करने का हुनर जानती थीं।

इंदिरा ने अपने कार्यकाल में कई बड़े निर्णय लिए। आइए उनके ऐसे सात फैसलों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने पूरे भारत पर काफी असर डाला।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969)

19 जुलाई, 1969 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया। यह अध्यादेश देश के 14 निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए था। इन 14 बैंकों में देश का करीब 70 फीसदी जमा था। अध्यादेश पारित होने के बाद इन बैंकों का मालिकाना हक सरकार के पास चला गया। ऐसा आर्थिक समानता को बढ़ावा देने के लिए किया गया। इस अध्यादेश को बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं स्थानांतरण) था। उसके बाद इसी नाम से एक कानून आया।

पाकिस्तान के दो टुकड़े (1971)

इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है जिसकी टीस हमेशा उसको महसूस होती रहेगी। पाकिस्तान के लिए यह जख्म 1971 के बांग्लादेश युद्ध के रूप में था जिसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तान के सैन्य शासन ने पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों पर जुल्म की इंतहा कर दी थी। उसके नतीजे में करीब 1 करोड़ शरणार्थी भागकर भारत में चले आए थे। बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई बल्कि उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बनाया था।

आपातकाल (1975-77)

इंदिरा गांधी के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया था। छह सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। उनको संसद से भी इस्तीफा देने को कहा गया था। लेकिन इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट का फैसला मानने से इनकार कर दिया। उसके बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन होने लगे और उनसे इस्तीफा की मांग की जाने लगी। इस सबको देखते हुए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा दिया और बड़ी संख्या में विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दिया। भारतीय लोकतंत्र में इस दिन को ‘काला दिन’ कहा जाता है। आपातकाल करीब 19 महीने तक रहा।

ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)


जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक भारत का बंटवारा करवाना चाहते थे। उन लोगों की मांग थी कि पंजाबियों के लिए अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाया जाए। भिंडरावाले के साथी गोल्डन टेंपल में छिपे हुए थे। उन आतंकियों को मार गिराने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ चलाए थे। इस ऑपरेशन में भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया गया। साथ ही कुछ आम नागरिक भी मारे गए थे। बाद में इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

ऑपरेशन मेघदूत

1984 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था और पाकिस्तान की कब्र खोदी थी। इस ऑपरेशन की मंजूरी इंदिरा गांधी ने ही दी थी। दरअसल पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी जिसकी जानकारी भारत को लग गई। भारत ने उससे पहले सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई और इस ऑपरेशन का कोड नाम ‘ऑपरेशन मेघदूत’ था।

1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण


18 मई, 1974 भारतीय इतिहास का अहम दिन था। इसी दिन भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरत में डाल दिया था। इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा था।

प्रिवी पर्स यानी राजभत्ते को खत्म करना

आजादी के बाद भारत में अपनी रियासतों का विलय करने वाले राजपरिवारों को एक निश्चित रकम देने की शुरुआत की गई थी। इस राशि को राजभत्ता या प्रिवी पर्स कहा जाता था। इंदिरा गांधी ने साल 1971 में संविधान में संशोधन करके राजभत्ते की इस प्रथा को खत्म किया। उन्होंने इसे सरकारी धन की बर्बादी बताया था।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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